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पार्टियों का अहंकार मिट्टी में मिला
लोकसभा चुनाव में भाजपा जिस गति से आयी थी, वह उसी गति से दिल्ली विधानसभा चुनाव में चली भी गयी. उसका डर सही था. कांग्रेस तो सिर्फ आठ से भी साफहो गयी. दूसरों का तो जिक्र ही क्या करना! तूफानी जीत हासिल करनेवाली आम आदमी पार्टी के नेताओं के अंदाजे और सभी सर्वेक्षण भी फेल […]
लोकसभा चुनाव में भाजपा जिस गति से आयी थी, वह उसी गति से दिल्ली विधानसभा चुनाव में चली भी गयी. उसका डर सही था. कांग्रेस तो सिर्फ आठ से भी साफहो गयी. दूसरों का तो जिक्र ही क्या करना! तूफानी जीत हासिल करनेवाली आम आदमी पार्टी के नेताओं के अंदाजे और सभी सर्वेक्षण भी फेल हुए. जनता के जोश को कोई आंक ही नहीं पाया.
पुरानी राजनीतिक पार्टियों का अहंकार मिट्टी में मिल गया. इन्हीं पार्टियों ने तो इन्हें राजनीति आने की चुनौती भी दी थी. अब न जाने यह तूफान कहां जाकर रुकेगा? भाजपा अन्ना आंदोलन को हाइजैक तो जरूर कर ले गयी, मगर उसके अनुसार कोई प्रोग्राम दे नहीं पायी. कांग्रेस ने तो इसका मजाक ही नहीं उड़ाया, बल्कि खुद अन्ना को ही ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट और भगोड़ा भी कह डाला था. अब ये माथे पर हाथ धर कर सोचने को मजबूर हैं.
वेद प्रकाश, नरेला, दिल्ली
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