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सज गयी बिहार की राजनीति की बिसात, टीम नीतीश व टीम मांझी में फाइनल मुकाबला आज
पटना : बिहार की राजनीति की बिसात सज गयी है. जदयू, जदयू के बागी नेता व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, भाजपा, राजद व अन्य दलों नेअपनी-अपनी रणनीति तय कर ली है. सभी शह और मात के खेल में लग गये हैं. जीतन राम मांझी ने कल फिर एक सार्वजनिक कार्यक्रम में यह एलान किया कि […]
पटना : बिहार की राजनीति की बिसात सज गयी है. जदयू, जदयू के बागी नेता व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, भाजपा, राजद व अन्य दलों नेअपनी-अपनी रणनीति तय कर ली है. सभी शह और मात के खेल में लग गये हैं. जीतन राम मांझी ने कल फिर एक सार्वजनिक कार्यक्रम में यह एलान किया कि उनके पक्ष में जो विधायक आयेंगे, उन्हें सरकार में मंत्री का पद दिया जायेगा. वहीं, भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपना दामन साफ रखते हुए जीतन राम मांझी की सरकार को बचाने के लिए हर कोशिश करेगी. वहीं, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ट नारायण सिंह ने कल एक प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा था कि जीतन राम मांझी के समर्थक उनके विधायकों को पद व पैसे का लोभ दे रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि पप्पू यादव, साधु यादव और भाजपा में कोई अंतर नहीं है.इस बीच स्पीकर ने जदयू को मुख्य विपक्ष का दर्जा दे दिया है.
उधर, राजद में लालू के फैसले के खिलाफ झंडा उठा चुके सांसद पप्पू यादव ने अपनी पूरी सहानुभूति और समर्थन मांझी को पक्ष में प्रकट किया है. उन्होंने अपने इस कदम को सामाजिक न्याय की पक्षधरता बताया है. उन्होंने कहा कि है मांझी को भी उसी तरह डिस्टर्ब किया जा रहा है, जिस तरह लालू प्रसाद और नीतीश कुमार को डिस्टर्ब किया गया. उन्होंने कहा कि वे नीतीश कुमार के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जिन लोगों ने पहले लालू को कमजोर करने के लिए नीतीश कुमार को मोहरा बनाया, बाद में उन्होंने ही नीतीश कुमार को कमजोर किया और फिर अब वही काम जीतन राम मांझी के साथ हो रहा है. उन्होंने सामाजिक न्याय की ताकत व गरीबों की आवाज को बुलंद करने की जरूरत बतायी. उधर, जदयू के एक विधायक ने पप्पू यादव पर प्रलोभन देने का आरोप लगा दिया है. इस बीच आज एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में पटना उच्च न्यायालय ने जदयू के आठ बागी विधायकों को कल सदन में वोट करने पर रोक लगा दी है. बहरहाल, अब कल विधानसभा के अंदर ही जीतन राम मांझी सरकार की भाग्य का फैसला होगा और इस बात के भी ठोस संकेत मिल जायेंगे कि नीतीश कुमार की राज्य में सरकार बनेगी या राष्ट्रपति शासन लगेगा.
जदयू ने अपने विधायक खरीदने के प्रयासों का आरोप लगाया
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की सरकार के ‘अल्पमत में आ जाने’ पर जोर देते हुए जदयू ने आज इस सरकार पर आरोप लगाया कि वह कल विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश होने से पहले ‘‘इसके विधायकों को खरीदकर अपना अस्तित्व बचाने’’ की कोशिश कर रही है.
जल्दबाजी में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने शिवहर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक शरफुद्दीन को पेश किया, जिन्होंने यह आरोप लगाया कि मधेपुरा से राजद सांसद पप्पू यादव ने उन्हें फोन करके शक्ति परीक्षण के दौरान मांझी का समर्थन करने पर पैसा और मंत्री पद देने का प्रस्ताव दिया था.
शरफुद्दीन ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘पप्पू यादव ने मुङो मेरे मोबाइल पर फोन किया और हर तरह की चीजों का वादा करके मुङो मांझी का समर्थन करने के लिए लुभाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि मुझसे कहा गया है कि अगर मैं विश्वास मत के दौरान मांझी के पक्ष में मतदान करता हूं तो मुङो मंत्री पद, धन और जो कुछ भी मैं चाहूंगा, वह दे दिया जाएगा.’’
शिवहर के विधायक ने यादव द्वारा की गयी कथित फोन कॉल की रिकॉर्डिंग भी सुनाई और कहा कि वह पूरी निष्ठा के साथ अपनी पार्टी और उसके नेता के रूप में वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार के साथ हैं. अपनी पार्टी लाइन से इतर जाते हुए पप्पू यादव ने हाल ही में अपनी पार्टी के अध्यक्ष लालू प्रसाद से अपील की थी कि वह जीतन राम मांझी को हटाने के मुद्दे पर नीतीश कुमार का समर्थन न करें.
व्यक्तिगत तौर पर मांझी के प्रति अपना समर्थन जताते हुए पप्पू यादव ने अपनी पार्टी के विधायकों समेत अन्य विधायकों से अपील की थी कि वे ‘अपनी आत्मा की आवाज के आधार पर’ वोट करें. इस अवसर पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा, ‘‘मांझी सरकार अल्पमत में आ गयी है, इसलिए वह शक्ति परीक्षण में अपना अस्तित्व बचाने के लिए हमारे विधायक खरीदने की कोशिश कर रही है. उसने उन मूल्यों, नैतिकता और नियमांे के बारे में सोचना बंद कर दिया है, जो विधायकों की खरीद-फरोख्त को निषिद्ध बताते हैं.’’ सिंह ने आगे कहा कि जदयू के सभी विधायक कुमार के नेतृत्व में एकजुट हैं और मांझी बचने के लिए कैसी भी और कितनी भी कोशिशें कर लें, विश्वास मत में उनकी हार ही होगी.
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि विधायकों को खरीदने के प्रयासों को ‘‘उस भाजपा की स्वीकृति मिली हुई है, जिसकी मांझी और पप्पू यादव के साथ सांठगांठ है.’’ सिंह ने कहा, ‘‘शक्ति परीक्षण के दौरान कल भाजपा का असली चेहरा उजागर हो जाएगा. उसकी मांझी और पप्पू यादव के साथ पूरी सांठगांठ है. उसे जनता को यह जवाब देना चाहिए कि वह मांझी सरकार को बचाने की कोशिश क्यों कर रही है?’’ जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व खाद्य मंत्री श्याम रजक भी इस अवसर पर मौजूद थे. उन्होंने कहा कि कल विधानसभा में सभी को उनके दल के विधायकों की एकजुटता दिखायी दे जाएगी. उन्होंने मांझी पर राजनीतिक लाभों के लिए ‘महादलित’ कार्ड खेलने का भी आरोप लगाया.
कल देश में पहली बार एक ही पार्टी सत्ता पक्ष व विपक्ष में बैठेगी : नंद किशोर यादव
नंद किशोर यादव ने कहा, ‘‘देश में यह पहली बार है जब एक पार्टी – जदयू सत्ता और विपक्ष दोनों खेमे में बैठेगी.’’ उन्होंने दावे के साथ कहा कि भाजपा इस मुद्दे पर मांझी को समर्थन देने से इनकार कर चुकी थी लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह मांझी सरकार में शामिल होने वाली थी. यादव ने तर्क दिया, ‘‘यहां तक कि राजग में रहते हुए नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था जबकि अन्य सहयोगियों ने पीए संगमा के पक्ष में मतदान किया था. इसलिए मुद्दा आधारित समर्थन का अर्थ यह बिल्कुल नहीं कि कोई पार्टी सरकार में शामिल हो रही है.’’ जदयू विधायक दल के नेता विजय चौधरी ने कल सर्वदलीय बैठक में विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह किया था कि वह उन्हें विपक्षी सीटों पर बैठने की अनुमति दें क्योंकि उसने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के कल के विश्वास मत प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला किया है.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सदन का कामकाज नियम और कानून के मुताबिक चलता है न कि किसी के मर्जी पर ‘संख्या बल’ के आधार पर जदयू को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा नहीं देने का कोई कारण नहीं बनता.’’ विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि नियम के मुताबिक, जदयू को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा दिया जाता है और उसके नेता विजय चौधरी को सदन में विपक्ष का नेता स्वीकार किया जाता है. 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा की मौजूदा क्षमता 233 है. इसमें फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष सहित जदयू के पास 110 विधायक, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के रूप में एक असंबद्ध सदस्य, भाजपा के 87 सदस्य, राजद के 24, कांग्रेस के पांच, भाकपा के एक, निर्दलीय पांच जबकि 10 सीट खाली हैं.
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