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मीनापुर के किसान ने सबसे बड़ा आलू उगाने का बनाया रिकॉर्ड

मुजफ्फरपुर: संयुक्त भवन स्थित आत्मा सभागार में जिले के किसानों के बीच सबसे बड़ा आलू प्रतियोगिता हुई. इसमें मीनापुर के मदारीपुर कर्ण निवासी सुरेश शर्मा ने जिले के सबसे बड़ा आलू कंद उगाने वाले किसान बनने का रिकॉर्ड कायम किया है. उनका आलू 601 ग्राम वजन का था. विभाग ने इन्हें जिला अति विशिष्ट किसान […]

मुजफ्फरपुर: संयुक्त भवन स्थित आत्मा सभागार में जिले के किसानों के बीच सबसे बड़ा आलू प्रतियोगिता हुई. इसमें मीनापुर के मदारीपुर कर्ण निवासी सुरेश शर्मा ने जिले के सबसे बड़ा आलू कंद उगाने वाले किसान बनने का रिकॉर्ड कायम किया है. उनका आलू 601 ग्राम वजन का था. विभाग ने इन्हें जिला अति विशिष्ट किसान आलू पुरस्कार से सम्मानित किया.

इन्हें दो हजार रुपये का चेक व प्रमाण पत्र मिलेगा. इसके अलावा जिले के पांच किसानों ने आलू के वजन के हिसाब से पुरस्कार जीत कर रिकॉर्ड अपने नाम किया है. जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार, आत्मा के परियोजना निदेशक अरविंद कुमार व उप परियोजना निदेशक विनोद कुमार ने सभी किसानों को बधाई दी है. कहा, इस पुरस्कार से जिले के किसानों की आलू की खेती में रुचि बढ़ेगी.

द्वितीय पुरस्कार जीतने का गौरव कुढ़नी प्रखंड के विशुनपुर मोहिनी के किसान नीरज कुमार को मिला है. इनका आलू 594 ग्राम वजन का पाया गया. इन्हें जिला विशिष्ट किसान आलू पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इन्हें 15 सौ रुपये का चेक व प्रमाण पत्र दिया जायेगा.
तृतीय पुरस्कार सरैया प्रखंड के कोल्हुआ निवासी शैलेश ओझा को मिला है. इनका आलू 544 ग्राम वजन का था. इन्हें जिला श्रेष्ठ किसान आलू के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इन्हें एक हजार रुपये व प्रमाण पत्र दिया जायेगा. चौथा पुरस्कार सकरा प्रखंड के मछही गांव निवासी दिनेश कुमार ने जीता है. इनका आलू 543 ग्राम का हुआ है. पंचम पुरस्कार की विजेता वीणा देवी हैं. बंदरा प्रखंड के पीरापुर चक निवासी अरुण कुमार की पत्नी वीणा ने 520 ग्राम का आलू उत्पादन किया है.
इस प्रतियोगिता में 169 किसानों ने भाग लिया था. हालांकि 128 किसानों ने निबंधन करा प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. गुरुवार को पांचों प्रतिभागियों को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए पटना भेजा जायेगा. आलू मूल्यांकन टीम में आत्मा के अधिकारियों के साथ कृषि विज्ञान केंद्र सरैया की कार्यक्रम समन्वयक अनुपमा कुमारी के साथ सहायक निदेशक उद्यान भी मौजूद थे.
एक कट्ठा में सात किलोग्राम डीएपी, तीन किलोग्राम पोटाश, पांच सौ ग्राम बोरॉन, पारस का जिंक व बायोजाइम, पर्याप्त मात्र में गोबर डाला गया था. केवल एक पानी दिया. इसके साथ दो किलोग्राम यूरिया दिया था. ठंड में झुलसा रोग का दवा का उपयोग किया था.
सुरेश शर्मा, प्रथम विजेता
एक कट्ठा में चार किलोग्राम डीएपी, तीन कि लोग्राम पोटाश, अंडी खल्ली पांच किलोग्राम, सरसों खल्ली पांच किलोग्राम, चार कट्ठा में एक ट्रैक्टर गोबर जुताई के समय दिया था. इंडोफिल एम 45 ठंड के समय दिया था.
नीरज कुमार, द्वितीय विजेता

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