नयी दिल्ली : गिरजाघरों पर हाल में हुए हमलों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार किसी भी धार्मिक समूह को नफरत फैलाने की इजाजत नहीं देगी. इसके साथ ही किसी तरह की धार्मिक हिंसा के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करेगी, क्योंकि मेरी सरकार सभी धर्मो को समान रूप से सम्मान देती है.
यही नहीं कल संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी विवादित बयान देने वालों को जमकर खरी खोटी सुनाई. उन्होंने चार बच्चे पैदा करने वाले बयान देने वालों से कहा कि महिलाएं बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं हैं. बयान देने से पहले सबको एक बार सोचना चाहिए. उल्लेखनीय है कि भाजपा सांसद साक्षी महाराज साध्वी प्राची जैसे नेताओं के इस तरह के भाषण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुश्किले बढ़ गई थी.
मंगलवार को नरेंद्र मोदी ने वादा किया कि मेरी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आस्था की पूर्ण स्वतंत्रता हो. जोर जबरदस्ती या अनुचित प्रभाव के बिना हर किसी को अपनी पसंद के धर्म अपनाने का निर्विवाद अधिकार है. उन्होंने कहा कि मेरी सरकार अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक से ताल्लुक रखने वाले किसी भी धार्मिक समूह को दूसरों के खिलाफ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से घृणा फैलाने की इजाजत नहीं देगी. यहां विज्ञान भवन में के ई चवारा और मदर यूफरेशिया को संत की उपाधि दिये जाने के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह विचार व्यक्त किये. भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी का उद्धरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी धर्मो के प्रति समान रूप से सम्मान की भावना प्रत्येक भारतीय के डीएनए में होनी चाहिए.
दुनिया भर में बढ़ रहा भेदभाव
मोदी ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम किसी भी कारण से किसी धर्म के खिलाफ हिंसा को स्वीकार नहीं कर सकते. धर्म के आधार पर विश्व में भेदभाव बढ़ने और इस मुद्दे के वैश्विक चिंता का विषय बनने को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी आस्थाओं के लिए आपसी सम्मान की प्राचीन भारतीय अवधारणा अब वैश्विक संवाद के रूप में विस्तार पा रही है.
उल्लेखनीय है कि विपक्षी दलों और ईसाई समूहों ने प्रधानमंत्री पर पांच चर्चो और दिल्ली में एक ईसाई स्कूल पर हमले पर आंख मूंदने का आरोप लगाया था.