लेकिन उनके पर्यवेक्षण के बाद एक सवाल अभी तक सुलग रहा है कि आखिर लक्ष्मी के पिता कहां गायब हो गये. एसडीपीओ ने जांच के दौरान जब इस मामले को असत्य करार दिया, तो निश्चित रूप से उन्हें पता चला होगा कि लक्ष्मी के पिता कहां चले गये हैं. लेकिन उन्होंने अपने पर्यवेक्षण रिपोर्ट में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया है.
दूसरी ओर उनके ही जांच रिपोर्ट में यह बात लिखी गयी है कि लक्ष्मी के पिता बालेश्वर रजक ने पूर्व से एससी-एसटी थाने में कांड संख्या 48/12 दर्ज कराया था, जिसकी गवाही 21 अक्तूबर 2014 को कोर्ट में होनी थी. इसके पूर्व ही 11 अक्तूबर को 2014 को वे गायब हो गये. जिसके बाद श्री रजक के पुत्र लक्ष्मी ने पुन: थाने में आवेदन देते हुए सनहा दर्ज कराया.
धमकी मिलने के बाद उन्होंने एससी एसटी थाने में फिर से मामला दर्ज कराया. जब मामला इतना गंभीर था तो इस मामले को इतने हल्के में कैसे लिया गया? बहरहाल एसपी धूरत सायली सबला राम ने पूरे मामले को गंभीरता के साथ लिया है. इस मामले से जब पीड़ित ने एसपी को अवगत कराया तो उन्होंने कांड के आइओ ललन राम को कांड के समर्थन में गवाहों को उपस्थित कराने का निर्देश अपने पत्रंक 143/सीआर दिनांक 15 जनवरी 2015 से दिया है. लेकिन अब कांड के अनुसंधानकर्ता ही इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं. जिस कारण पीड़ित की परेशानी बढ़ी हुई है. उन्होंने एसपी से इस मामले की पुन: स्वयं जांच करने की मांग की है.