वहीं रुपेश द्वारी की हत्या बम मार कर की गयी थी.
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सीआइडी की फाइल में दब गये हत्याकांडों के राज
देवघर: देवघर जिले में जस्टीस डिले, जस्टिस डिनाई का कथन सत्य साबित हो रहा है. क्योंकि यहां एक से बढ़कर एक हत्याकांड हुए हैं, जिसकी एक दशक से अधिक दिनों से सीआइडी जांच कर रही है. लेकिन अभी तक केस की तह तक नहीं पहुंच पायी है. ऐसे में किस एजेंसी से लोग न्याय की […]
देवघर: देवघर जिले में जस्टीस डिले, जस्टिस डिनाई का कथन सत्य साबित हो रहा है. क्योंकि यहां एक से बढ़कर एक हत्याकांड हुए हैं, जिसकी एक दशक से अधिक दिनों से सीआइडी जांच कर रही है. लेकिन अभी तक केस की तह तक नहीं पहुंच पायी है. ऐसे में किस एजेंसी से लोग न्याय की उम्मीद करें. सीबीआइ के भी अपने जांचके दायरे हैं. यदि स्टेट एजेंसी अपना काम अकाउंटिब्लिटी के साथ नहीं करती है तो ऐसी संस्था का क्या औचित्य है.
एक दशक बीत जाने के बाद भी सीआइडी टीम नगर थाना क्षेत्र के तीन महत्वपूर्ण मर्डर मिस्ट्री का खुलासा नहीं कर सकी. नगर थाना क्षेत्र में घटित गोरेलाल झा हत्याकांड सहित रुपेश द्वारी हत्याकांड व मुरारी राज जजवाड़े हत्याकांड अब भी सीआइडी में अनुसंधानरत है. गोरेलाल झा व मुरारी राज जजवाड़े को गोली मारी गयी थी.
सीआइडी में फिलहाल तीनों मामला किस स्थिति में है, इसकी जानकारी देने से स्थानीय सीआइडी अधिकारियों ने असमर्थता जाहिर की. यहां पदस्थापित सीआइडी के अधिकारियों ने बताया कि इन कांडों के आइओ मुख्यालय में कार्यरत हैं. ऐसे में बेहतर जानकारी वहीं से मिलेगी. इधर वर्ष 2014 में आभूषण व्यवसायी ललित कुमार के अपहरण के बाद हत्या कर दी गयी थी. इस मामले का अनुसंधान नगर पुलिस कर रही है, लेकिन सरकार के आदेश पर सीआइडी भी निगरानी रख रही है. मामले में मुख्यालय से आकर सीआइडी के एक डीएसपी रैंक के अधिकारी ने दो दिनों तक यहां रह कर जांच पड़ताल भी की थी. बावजूद इन मामलों में से किसी का खुलासा नहीं हो सका है.
गोरेलाल झा हत्याकांड
आठ जुलाई 2002 को गोरेलाल झा को गोली मारी गयी थी. बाद में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी थी. मृत्यु पूर्व गोरेलाल झा का डॉक्टर की मौजूदगी में बयान पुलिस ने रिकॉर्ड किया था. इस मामले में राजनारायण खवाड़े सहित शंकर जायसवाल, मनु भारद्वाज, अमित सिंह, मामा जी, सुरेश मिश्र, महादेव द्वारी व अन्य 10-12 के खिलाफ नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. बाद में यह मामला सीआइडी में ट्रांसफर कर दिया गया.
रुपेश द्वारी हत्याकांड
27 मई 2005 की रात्रि करीब 11.17 बजे रुपेश द्वारी की बम मार कर हत्या कर दी गयी थी. घटना के पूर्व रुपेश अपनी कार डब्ल्यूबी 02 एल-3212 से घर लौट रहे थे. तभी घात लगाये अपराधियों ने बम से हमला कर दिया था. घटनास्थल पर ही रुपेश की मौत हो गयी थी. मामले की प्राथमिकी नगर थाने में दर्ज करायी गयी थी. मामले में पुलिस सुराग नहीं खोज सकी तो सीआइडी को वर्षो पूर्व ही ट्रांसफर कर दिया गया था. सीआइडी भी इस कांड में कुछ खास नहीं पता कर सकी है.
मुरारी राज हत्याकांड
15 दिसंबर 2006 को दिनदहाड़े मुरारी राज जजवाड़े को शयनशाला के समीप गोली मारी गयी थी. अस्पताल लाने पर डॉक्टर ने मुरारी राज जजवाड़े को मृत घोषित कर दिया था. बाद में मृतक की पत्नी रंजना श्रृंगारी के बयान पर नगर थाने में हत्या की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. मामले में उस वक्त बबलू खवाड़े, अभिषेक झा, कन्हैया झा, दिवाकर मिश्र, प्रदीप नरौने, रमेश मिश्र, रितेश मिश्र समेत नौ प्राथमिक व 15 अप्राथमिक लोगों पर आरोप लगा था. कई आरोपितों पर जिला पुलिस ने 56 पेज की चाजर्सीट भी सीजेएम न्यायालय में सौंपा था. बाद में इस मामले को सीआइडी में ट्रांसफर कर दिया गया. वर्षो बीतने के बाद भी सीआइडी में मामला पेंडिंग है.
ललित हत्याकांड
वर्ष 2014 में आभूषण व्यवसायी ललित गायब हुआ था. बाद में उसकी गाड़ी जसीडीह स्टेशन में मिली थी, जिसमें चाबी लगा हुआ था. पत्नी अपर्णा के बयान पर नगर थाने में ललित के अपहरण की प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. घटना के तीन दिन बाद कुंडा थाना क्षेत्र के चितोलोढ़िया में एक सुनसान स्थल पर ललित की बोराबंद लाश पुलिस ने बरामद की थी. ललित के शव मिलने के बाद श्यामगंज रोड की खुशबू कुमारी के आवेदन पर उसके अपहरण कर गायब करने व हत्या कर लाश ठिकाना लगाने का मामला नगर थाने में दर्ज कराया गया था. मामले में ललित की पत्नी अपर्णा सहित साले व दो भाइयों को आरोपित बनाया गया था. इस हत्याकांड पर पुलिस कोई सुराग नहीं खोज सकी. ललित की पत्नी अपर्णा ने मुख्यालय में पत्र देकर जांच की मांग की थी. इसके बाद मुख्यालय के निर्देश पर कांड की निगरानी का आदेश सीआइडी को दिया गया था. इसके बाद ही सीआइडी डीएसपी मामले की जांच में नगर थाना पहुंचे थे. ललित के परिजनों सहित नगर पुलिस व खुशबू से मामले की जानकारी ली थी. दो प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी कांड से पर्दा नहीं उठ सका.
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