सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से भेजे गये पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका (डब्ल्यूपीसी संख्या 576/2014) में याचिकाकर्ता द्वारा माता का नाम सभी लोगों के रिकार्ड में अनिवार्य रूप से शामिल करने का अनुरोध किया गया है. हालांकि फिलहाल यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन विचार-विमर्श में यह तथ्य सामने आया कि व्यावहारिक रूप से यह प्रस्ताव उचित है.
क्योंकि महिला विशेष के परित्यक्तता हो जाने के कारण व अन्यत्र विवाह कर लेने की स्थिति में पहले पति से उत्पन्न संतान को पिता का नाम दिये जाने में कठिनाई उत्पन्न होती है, जबकि किसी भी स्थिति में माता नहीं बदलती है. इसी आलोक में सरकार ने निर्णय लिया है कि जाति, आय, आवासीय व क्रीमीलेयर रहित प्रमाण पत्र धारक के नाम के साथ उनके माता व पिता दोनों का नाम अनिवार्य रूप से अंकित किया जाये. सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव राजेंद्र राम ने इस नयी व्यवस्था को आदेश निर्गत होने की तिथि से प्रभावी करते हुए सभी पदाधिकारियों से इसका अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है. 10 फरवरी को निर्गत आदेश के आलोक में उन्होंने कहा कि इससे पूर्व से निर्गत सभी प्रमाण पत्र भी मान्य होंगे.