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विवेकानंद ने पश्चिमी समाज को किया था आकर्षित

संस्कृति मंत्रालय व बिहार स्कूल ऑफ म्यूजिक एंड ड्रामा की ओर से सेमिनारवरीय संवादाता, मुजफ्फरपुरकेंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से सोमवार को बिहार स्कूल ऑफ म्युजिक एंड ड्रामा ने स्वामी विवेकानंद पर सेमिनार का आयोजन किया. विश्वविद्यालय सीनेट हॉल में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डॉ प्रभा किरण ने किया. उद्घाटन […]

संस्कृति मंत्रालय व बिहार स्कूल ऑफ म्यूजिक एंड ड्रामा की ओर से सेमिनारवरीय संवादाता, मुजफ्फरपुरकेंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से सोमवार को बिहार स्कूल ऑफ म्युजिक एंड ड्रामा ने स्वामी विवेकानंद पर सेमिनार का आयोजन किया. विश्वविद्यालय सीनेट हॉल में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डॉ प्रभा किरण ने किया. उद्घाटन भाषण में उन्होंने विवेकानंद की सार्थकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि निर्धन भारत के युवकों के लिए गीता पढ़ने से ज्यादा जरूरी फुटबॉल खेलना है. आज के युग में शारीरिक शक्ति की ज्यादा जरूरत हो गयी है. मुख्य अतिथि रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के सचिव स्वामी भावात्मानंद ने विवेकानंद के शिकागो में दिये भाषण की चर्चा करते हुए उसकी व्यापकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि ऐसे उद्बोधन से उन्होंने पश्चिम समाज पर गहरा प्रभाव डाला. बीएचयू के प्रोफेसर डॉ अवधेश प्रधान ने विवेकानंद के भारतीय व पाश्चात्य संस्कृतियों के समन्वय के लिए दिये गये विचार पर प्रकाश डाला. विश्वविद्यालय के पूर्व बंगला विभागाध्यक्ष प्रो मुकुल बंद्योपाध्याय ने कहा कि नरेंद्रनाथ दत्ता को विवेकानंद बनाने में बंगाल के बाहर के लोगों का मुख्य योगदान था. सेमिनार की अध्यक्षता प्रो शचींद्र कुमार सिंह ने की. सेमिनार में डॉ मो असलम अली, रांची विश्वविद्यालय के डॉ एसके पाले, विनोबा भावे विश्वविद्यालय के डॉ कौशिक दास गुप्ता, डॉ सरोज कुमार ने आलेख पाठ किया. संचालन डॉ मोनालिसा बनर्जी ने किया. धन्यवाद बंगला विभागाध्यक्ष डॉ भक्ति गांगुली ने किया.

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