पटना : नीतीश कुमार पर बयानबाजी को लेकर राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी पर जदयू, राजद, कांग्रेस और भाकपा ने रविवार को एक साथ निशाना साधा. भाजपा पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए चारों दलों ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्यपाल भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी की भाषा बोल रहे हैं. संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के लिए ऐसी बयानबाजी उचित नहीं है. सारा खेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारों पर चल रहा है. इन दलों ने राज्यपाल से विश्वासमत के पहले मुख्यमंत्री द्वारा की जा रही घोषणाओं और निर्णयों पर रोक लगाने की मांग की. साथ ही कहा कि जब राज्यपाल ने सरकार को 20 फरवरी को बहुमत साबित करने का निर्देश दे दिया है, तो इस बीच की जा रही घोषणाओं और निर्णयों को स्थगित किया जाना चाहिए.
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर आयोजित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री सिंह के अलावा राजद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामचंद्र पूव्रे, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी व भाजपा के राज्य सचिव जितेंद्र राय उपस्थित हुए. उन्होंने कहा कि राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी संवैधानिक पद पर होते हुए राजनीतिक बात कर रहे हैं. जगह-जगह से उनके जो बयान आ रहे हैं, उनसे लगता है जैसे कोई राजनीति करनेवाला बोल रहा है. राज्यपाल किसी पर टिप्पणी दें, यह सही नहीं है. मर्यादित और संवैधानिक पद पर आसीन होने के बाद ऐसा बयान नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्यपाल की सहूलियत के लिए ही 130 विधायकों की परेड राजभवन के बाहर करायी गयी थी, ताकि उन्हें फैसला लेने में अनावश्यक देर न करनी पड़े. लेकिन उन्होंने 20 फरवरी को जीतन राम मांझी को बहुमत साबित करने का समय दे दिया. विधायकों के उस मार्च की संवैधानिक पदों पर बैठे लोग मजाक भी उड़ा रहे हैं. जब से दिल्ली में भाजपा की हार हुई, उसके बाद से बिहार उनके हाथ से न निकले, इसलिए परदे के पीछे से राजनीति की जा रही है. इसके लिए पूरी तरह भाजपा जिम्मेदार है. पीएम के कहे अनुसार भूमिका रची जा रही है. परदे के पीछे सुशील मोदी भी हैं.
पहले नीतीश का गुणगान, अब पाताल में ढकेला : वशिष्ठ
जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जीतन राम मांझी को जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनाया था, तो वह उनका गुणगान करते नहीं थकते थे. उन्हें आकाश पर बैठा दिया था, लेकिन अब जब उनके पास बहुमत नहीं है, तो उन्होंने नीतीश कुमार को पाताल में ढकेल दिया. राजनीति में विश्वास का महत्व होता है. मांझी ने उस विश्वास को तोड़ा है. उन्होंने कहा कि मांझी को हटाया जा रहा है, तो कहा जा रहा है कि महादलित को हटाया जा रहा है. यह मुद्दा हो गया है. वह मुद्दा गौण हो गया है कि नीतीश कुमार ने ही महादलित को मुख्यमंत्री बनाया था. मांझी बिहार में अव्यवस्था और अराजकता की स्थिति पैदा करना चाह रहे हैं. इसलिए वह ताबड़तोड़ घोषणाएं कर रहे हैं और कैबिनेट में कई अहम फैसले ले रहे हैं. इससे आनेवाली सरकार को शासन करना मुश्किल हो जायेगा. प्रदेश का आर्थिक स्नेत या राजस्व अचानक कैसे बढ़ गया? बिहार के वार्षिक योजना आकार और हो रही घोषणाओं को देखें, तो अराजकता नजर आ जायेगी. आगे वेतन देने में भी दिक्कत हो सकती है. उन्होंने कहा कि खजाना लुटाने के लिए नहीं होता है. जब से वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर आये हैं, भाजपा की गोद में खेल रहे हैं. वह चंचल हो गये हैं और जब आदमी चंचल हो जाता है, तो उसे पता नहीं चलता कि वह कहां जा रहा है.
राज्यपाल का निर्णय असंवैधानिक : अशोक चौधरी
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि 20 फरवरी को जीतन राम मांझी को बहुमत साबित करने का समय देने का राज्यपाल का निर्णय असंवैधानिक है. जब मांझी के पास बहुमत ही नहीं है, तो इतना समय क्यों दिया गया? इससे लोकतंत्र की परंपरा को तोड़ने का प्रयास किया जाता है. व्यक्ति जब बड़े पद पर होता है, तो उसकी कोई जात नहीं होती. वह अपने काम से जाना जाता है. मुख्यमंत्री महादलित का नाम लेकर इमोशनल ब्लैकमेल कर रहे हैं. पिछले छह महीने में जिस प्रकार मुख्यमंत्री का बयान आया, उससे यह साबित होता है. उन्होंने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री बहुमत सिद्ध नहीं करते हैं, तब तक उनकी घोषणाएं व निर्णय नहीं लेने का राज्यपाल उन्हें निर्देश दें. साथ ही राज्यपाल भी 20 फरवरी को सरकार के बहुमत साबित करने के बाद ही अभिभाषण पढ़ें.
संविधान के ऊपर जा रहे राज्यपाल : जितेंद्र राय
भाकपा के राज्य सचिव जितेंद्र राय ने कहा कि राज्यपाल संविधान का हनन कर रहे हैं. राज्यपाल ने नीतीश कुमार पर मुख्यमंत्री बनने के लिए उतावला कहा तो क्या जीतन राम मांझी को समय देकर वह अनैतिक काम करवाना चाह रहे हैं. मांझी भाजपा के हाथ की कठपुतली बन गये हैं. वह दलितों को बेच रहे हैं. नीतीश कुमार ने दलितों को तीन डिसमिल जमीन फ्री में देते थे, मांझी ने उसे बढ़ा कर पांच डिसमिल किया, लेकिन पिछले छह महीने से किसी को जमीन नहीं मिली.
गवर्नर को सरकार बनाने के लिए बुलाना चाहिए था : पूर्वे
राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में 130 विधायकों ने राजभवन मार्च किया था. ऐसे में राज्यपाल को हमें सरकार बनाने के लिए मौका दिया जाना चाहिए था, लेकिन जिनके पास कोई मत नहीं है, उसे ही बहुमत साबित करने का मौका देना उचित नहीं है. संसदीय लोकतंत्र के तहत जीतन राम मांझी को इस्तीफा दे देना चाहिए था. वह जदयू से असंबद्ध हो गये हैं और भाजपा व आरएसएस से संबद्ध हो गये हैं. आज ‘ट्रांसफर टू पावर वन पार्टी टू अनदर’ हो गयी है. उन्होंने कहा कि मांझी जिस प्रकार घोषणाएं कर रहे हैं और निर्णय ले रहे हैं, वह बिहार को आर्थिक अराजकता की ओर ढकेलने की कोशिश करनेवाला है. यह घोषणाएं अमर्यादित और असंवैधानिक हैं. घोषणा वही सरकार कर सकती है, जिसके पास बहुमत है. बिहार के जनमानस ने नीतीश कुमार को अपना मुख्यमंत्री चुना है. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा का गेम नहीं चलेगा और दिल्लीवाला ही हाल बिहार में होगा.
क्या कहा था राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने
13 फरवरी 2015
कानपुर में
नीतीश जल्दबाजी में हैं. वह चाहते थे कि मैं 24 से 48 घंटे के अंदर ही मुख्यमंत्री को हटा दूं, यह उचित नहीं है.
14 फरवरी 2015
मथुरा में
बहुमत का निर्णय सदन में होगा, बाहर नहीं. राजभवन और राष्ट्रपति के सामने विधायकों की परेड कराना राजनीतिक दबाव बनाने का प्रयास है. इसका कोई मतलब नहीं है