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संघ को शक्ति प्रदर्शन करने की जरुरत नहीं: भागवत

कानपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने आज कहा कि संघ का कर्तव्य देश और देशवासियों को एकजुट रखना तथा देश और समाज का भला करना है और जब समाज एकजुट रहेगा तो देश का भाग्य बदलेगा.भागवत ने यहां राष्ट्र रक्षा संगम को संबोधित करते हुए कहा, समय आ गया है जब पूरा […]

कानपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने आज कहा कि संघ का कर्तव्य देश और देशवासियों को एकजुट रखना तथा देश और समाज का भला करना है और जब समाज एकजुट रहेगा तो देश का भाग्य बदलेगा.भागवत ने यहां राष्ट्र रक्षा संगम को संबोधित करते हुए कहा, समय आ गया है जब पूरा समाज आरएसएस को चाहता है और उससे उम्मीदें हैं. इन उम्मीदों को पूरा करने के लिए संगठन का विस्तार होना चाहिए. उन्होंने जाति, भाषा, बोली खानपान से उपर उठकर एक भारतवासी होने के नाते अच्छे आचरण से संघ का विस्तार गांव..गली में करने की बात कहते हुए कहा कि संघ को शक्ति प्रदर्शन की जरुरत नहीं है, संघ पूरी तरह से सक्षम है.

उन्होंने कहा कि जब प्रत्येक गांव गली में संघ की शाखा का जब विस्तार होगा और जब अच्छे आचरण वाले दस लोग खडे होंगे तो उनके आचरण से अच्छा वातावरण बनेगा. यदि हमने अपना और अपने परिवार का आचरण बदल दिया तो समाज का आचरण भी बदल जायेगा और फिर देश का भाग्य बदलेगा.उन्होंने महिलाओं को जगतजननी बताते हुए उनके सम्मान की बात कही तथा भ्रष्टाचार पर निशाना साधते हुए कहा कि भ्रष्टाचार करने वालों को समाज में हमेशा तिरस्कार की नजरों से ही देखा जाता है.

उन्होंने रक्षा संगम में आरएसएस के संघ के करीब 20 हजार स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा हम जब ऐसे कार्यक्रम करते हैं तो यह कहा जाता है कि यह संघ का शक्ति प्रदर्शन है लेकिन हमे शक्ति प्रदर्शन करने की कोई आवश्यकता नहीं है. शक्ति प्रदर्शन करने की आवश्यकता उन्हें होती है जिनके पास शक्ति नहीं होती. हमारे पास शक्ति है और हम अपनी शक्ति के आधार पर ही आगे बढते हैं यह हमारा आत्मदर्शन है. उन्होंने कहा, हम अनुशासन का पालन करते है. ऐसे कार्यक्रम होने के बाद इसका अभ्यास होना चाहिये. हमारा भाग्य बनाने वाले हम ही हैं.

भागवत ने कहा, आरएसएस का काम हिंदू समाज को संगठित करना और उसे निर्भीक, आत्मनिर्भर और निस्वार्थ बनाना है और उसे ऐसा बनाना जो देश के लिए जीने मरने को तैयार हो. उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि ऐसा केवल भाषणों से नहीं हो सकता.

आरएसएस का चार दिवसीय मंथन बंद दरवाजे के पीछे होगा और उम्मीद है इसमें कार्यकर्ता को प्रेरित करने और उत्साहित करने की संगठन की रणनीति पर चर्चा होगी क्योंकि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण प्रदेशों में चुनाव बहुत दूर नहीं है.ऐसे में जब यह बैठक दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार की पृष्ठभूमि में हो रही है, तो इस पर भी संभावित रुप से चर्चा हो सकती है.

उन्होंने कहा, आरएसएस को नहीं जानने वाले या उसे नजदीक से नहीं देखने वाले ऐसे कार्यक्रम देखकर विभिन्न तरह की चीजें सोचते हैं. इसमें कुछ भी नया नहीं है. हम ऐसे कार्यक्रमों के अभ्यस्त हैं. वहां लगातार चिंतन होता है. उन्होंने कहा कि जब देश में अंग्रेजों का शासन था कई लोगों ने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक ही उद्देश्य से कार्य किया.

उन्होंने कहा, डा. (के बी) हेडगेवार(संघ के पहले प्रमुख) का अपने जीवन में कोई अन्य उद्देश्य नहीं था. अल्पआयु में जब लोग विचार भी नहीं करते हैं, उन्होंने शपथ ली कि जब तक देश का भाग्य नहीं बदलता, वह अपने बारे में नहीं सोचेंगे. उन्होंने कहा कि मातृभूमि की पूजा हम सभी को एकजुट करती है. उन्होंने कहा, हमारी महान हस्तियां एक है. राम, कृष्ण या भगवान शिव के बारे में कौन नहीं जानता. हम स्वयं को अपने पूर्वजों से जोडते हैं. हमारे मूल्य एक हैं.

भागवत ने कहा कि ह्यसनातन धर्मह्ण को लोग अलग अलग नामों से बुलाते हैं. कुछ लोग उसे भारतीय संस्कृति, कुछ उसे हिंदू संस्कृति कहते हैं. यह हमें सभी विविधता का सम्मान करना सिखाती है. यह कहती है कि विभेद करना ठीक नहीं है. यही सनातन हिंदू धर्म है. जो लोग इन चीजों से स्वयं को जोडते हैं वे हिंदू कहलाते हैं.

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