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अधिकतर स्कूल बसों में महिला अटेंडेंट नहीं

समस्तीपुर : दिल्ली की निर्भया घटना के बाद केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूल बस या वैन में सफर करनेवाली छात्रओं के लिए महिला अटेंडेंट नियुक्त करने को कहा था, परंतु स्थानीय स्कूलों को सीबीएसई का यह सुझाव रास नहीं आ रहा है़ जिले के एक भी स्कूल ने इस सुझाव पर अमल नहीं किया […]

समस्तीपुर : दिल्ली की निर्भया घटना के बाद केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने स्कूल बस या वैन में सफर करनेवाली छात्रओं के लिए महिला अटेंडेंट नियुक्त करने को कहा था, परंतु स्थानीय स्कूलों को सीबीएसई का यह सुझाव रास नहीं आ रहा है़ जिले के एक भी स्कूल ने इस सुझाव पर अमल नहीं किया है़
ट्रांसपोर्ट के नाम पर निजी स्कूलों में मोटी रकम वसूली जाती है, लेकिन बसों में छात्रओं की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं हैं एक दो स्कूलों ने ही अपनी बसों में महिला अटेंडेंट नियुक्त किया है़ नब्बे फीसदी से अधिक निजी स्कूल बसों में ड्राइवर से लेकर क्लीनर तक पुरुष ही हैं
उन्हीं पर बच्चों की सुरक्षा और उन्हें उतारने-चढ़ाने का जिम्मा है़ कई स्कूलों ने महिला अटेंडेंट के तौर पर आया या शिक्षिका को नियुक्त कर रखा है़ स्कूली बसों में गाहे बगाहे अटेडेंट के तौर पर आया को भेज दिया जाता है़ विकल्प के तौर पर जिस क्षेत्र में बस जाती है, वहां की शिक्षिका बस की इंचार्ज होती है़ बोर्ड ने स्पष्ट सुझाव दिया था कि स्कूल में एक अटेंडेंट को सिर्फ बच्चों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया जाए़ शहर में 16 से अधिक वाहन स्कूलों को सेवाएं दे रहे हैं.
दो तीन स्कूल ऐसे हैं जहां आठ गाड़ियों की जरूरत पड़ती है़ औसतन प्रति स्कूल 4 वैन माने जाएं तो 16 स्कूलों में कम से कम 64 वाहन हैं़ इनमें बस, वैन, ऑटो और मैजिक शामिल हैं. लेकिन छात्रओं की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ कोरम पूरी की जा रही है़

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