पटना: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सामने अपनी बात रख कर पटना लौटे पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को मीडिया के सामने आये. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा व केंद्र सरकार चाहती है कि बिहार में येन-केन प्रकारेण राष्ट्रपति शासन लगा कर सत्ता दिल्ली से चलाया जाये. आखिर कोई तो यह बताये कि बिहार में किस पार्टी की सरकार है.
यह 12 एमएलए की सरकार है. केंद्र सरकार साफ बहुमत पर अड़ंगा लगा रही है. विधायकों को खरीद-फरोख्त का मौका दिया जा रहा है. उन्होंने केंद्र को चेताया कि भाजपा यह नहीं भूले कि दिल्ली के चुनाव में जो हाल हुआ, वही यहां पर भी होगा.
अपने सरकारी आवास सात सकरुलर रोड पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में पूर्व सीएम ने कहा कि राष्ट्रपति से मिलने के बाद एक निर्णय आया है कि 20 फरवरी को फ्लोर टेस्ट होगा. इसके पूर्व नौ फरवरी को राज्यपाल से मिल कर पूरी बात रखी थी. राज्यपाल हमारी बातों से पूरी तरह से कनविंस्ड थे. राज्यपाल ने भरोसा दिया था कि जो सरकार है, उसका फैसला बजट सत्र के पहले होगा. विधानसभा में जदयू के साथ चार राजनीति दल हैं. भाजपा का समर्थन सरकार को नहीं है. अब साफ बहुमत में अडंगा लगाया जा रहा है. दिल्ली से लौटने के बाद उन्हें (मांझी को) हॉर्स ट्रेडिंग का पूरा लाइसेंस हाथोंहाथ मिल गया है. बीजेपी पूरी तरह से बेनकाब है. दिल्ली में प्रधानमंत्री से मिलने के बाद जीतन राम मांझी ने जो बात कही, दिल्ली सरकार के इशारे पर वही सब कुछ हो रहा है. केंद्र मुख्यमंत्री को पूरा मौका दे रही है कि जो करना है, करे. राजनीति का गंदा खेल खेला जा रहा है. ऐसा ही गंदा खेल राज्यसभा उपचुनाव में किया गया था, जिसे फेल कर दिया गया. संसदीय प्रणाली की हत्या की जा रही है. यह अहंकार का परिचायक है.
कास्ट के आधार पर नहीं, कॉलीग के रूप में मुख्यमंत्री बनाया
नीतीश कुमार ने बताया कि जीतन राम मांझी को कास्ट के आधार पर नहीं. अपने कॉलीग (सहकर्मी) के रूप में मुख्यमंत्री बनाया था. अब वह कास्ट कार्ड खेल रहे हैं. जब उनको मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लिया, तो राजभवन साथ लेकर गये थे. वहां से निकलने के बाद मीडिया के लोगों ने पूछा था कि क्या मांझी को कास्ट के आधार पर मुख्यमंत्री बनाया गया है. उसी समय भी मैंने स्पष्ट किया था कि कास्ट के आधार पर जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है. जिस पर उन्होंने भरोसा किया, वही सही नहीं निकला. सोच-समझ कर सब कुछ खराब कर रहे हैं. अगर वह दो-तीन माह इंतजार करते, तो खुद हमारा ही अस्तित्व समाप्त हो जाता.
विस अध्यक्ष को छूकर कोई देखे
विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी की गिरफ्तारी की दिन भर उड़ती अफवाहों का जिक्र करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि क्या-क्या अफवाह उड़ायी जा रही है. किसी में दम है, तो उदय नारायण चौधरी को छूकर तो देख ले. ये लोग अफवाह फैलाने में लगे हैं, यह अफवाह फैलाओ, वह अफवाह फैलाओ.
नीतीश कुमार ने बताया कि जेडीयू को अधिकार है कि वह नेता बनाता है, तो हटाता भी है. भाजपा व अन्य पार्टियों में भी यह हुआ है. जेडीयू की सरकार थी, उसमें जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री मनोनीत किया, जिसका समर्थन कांग्रेस, सीपीआइ और बाद में राजद ने भी कर दिया. जब जेडीयू ने अपना दोबारा निर्णय लिया, तो राज्यपाल के पास जाने के पहले ही कांग्रेस, सीपीआइ और राजद ने जेडीयू को समर्थन कर दिया. विधानसभा में चार राजनीतिक दल एक साथ है.
जब कोई व्यक्ति विधानमंडल दल का नेता चुना जाता है, तो वह जिस दल का सदस्य है, उसका स्वत: नेता होता है. जिस सदन का वह सदस्य नहीं होता, वहां पार्टी के नेता का चयन करता है. जेडीयू के अध्यक्ष ने पार्टी के निर्णय से विस अध्यक्ष को अवगत कराया. उसकी अधिसूचना जारी की. श्री मोदी काउंसिल में नेता है, तो नंद किशोर यादव असेंबली के नेता है. जब भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष को सूचित किया, तो उनको विपक्ष का स्टेट्स मिला. विधानसभा को सूचित करने का काम पार्टी का अध्यक्ष ही करता है. चुनाव के बाद अध्यक्ष ही बैठक लेता है. मुख्यमंत्री के पद पर जो व्यक्ति होता है, वह सदन का नेता होता है. जब जदयू के अध्यक्ष ने विस को सूचित किया कि जीतन राम मांझी को पद व पार्टी से हटा दिया गया है. सरकार के खिलाफ जदयू है.
अब दिल्ली से कोरामिन दे दिया है. थोड़े दिन के लिए बचे हैं. पर भाजपा ने किस तरह का माहौल बना दिया है. बीजेपी तो पूरी तरह से बेनकाब हो गयी है. जब चारों तरफ से उनको लगा कि जिस तरह से प्रशासन चल रहा है और जिस तरह के हालात पैदा हो गये हैं. भाजपा का रोज-रोज बयान और ठीकरा मेरे माथे फोड़ा जा रहा था. इसके लिए उनके द्वारा अंतिम कोशिश की गयी. भाजपा को लगा कि नीतीश कुमार आ जायेंगे, इसलिए वह डरे हुए हैं. लोकतंत्र संसदीय प्रणाली से चलती है. जो खबरे आ रही थी, उसके अनुसार एक-दो माह में वह खेल खराब करती तब तक तो हमलोग बचते ही नहीं.