पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को ‘एग्रो बिहार-2015’ मेले का उद्घाटन करते हुए कहा कि पांच एकड़ तक जमीनवाले सभी किसानों को मुफ्त में बिजली मिलेगी. इस प्रस्ताव को 1-2 दिनों में कैबिनेट से भी मंजूरी दे दी जायेगी. लगे हाथ उन्होंने यह भी अपील कर दी कि अगर मुङो दोबारा मौका मिलता है, तो मुफ्त बिजली के लिए पांच एकड़ की सीमा को बढ़ा कर 10 एकड़ तक भी किया जा सकता है.
वहीं, गांधी मैदान में बिहार प्रदेश माध्यमिक शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ के 14वें स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने वित्तरहित स्कूलों के सरकारीकरण का एलान किया और कहा कि इन स्कूलों के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों को अनुदान की जगह नियोजित शिक्षकों के तर्ज पर वेतन मिलेगा.
इससे पहले 1993 में तत्कालीन राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया था कि किसी भी निजी स्कूल का सरकारीकरण नहीं किया जायेगा. एग्रो बिहार-2015’ मेले का उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री श्री मांझी ने कहा कि एससी-एसटी किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 80 फीसदी तक अनुदान मिलेगा. इसके लिए केंद्र से एससी-एसटी प्लान कंपोनेंट के तहत मिलनेवाले पैसे का उपयोग किया जायेगा. इसके तहत हर साल मिलनेवाले 16 फीसदी रुपये का अधिकतर हिस्सा खर्च नहीं हो पाने के कारण रुपये लौट जाते हैं. उन्होंने कहा कि कृषि औजारों को खरीदने में किसी तरह की बाध्यता नहीं होगी. किसान चाहें, तो ‘आइएसआइ मार्क’ मशीन किसी भी दुकान से खरीद सकते हैं. मशीन खरीदने के लिए किसी खास दुकान को चिह्न्ति नहीं किया जायेगा.
वर्तमान में कृषि विभाग 52 तरह के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देता है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि बिहार एकमात्र राज्य है, जहां एग्रीकल्चर पढ़नेवाले छात्रों को दो हजार रुपये महीना और छह हजार रुपये साल में कॉपी-किताब खरीदने के लिए यानी 30 हजार रुपये सालाना स्टाइपन दिया जाता है. उन्होंने राज्य में कृषि यंत्रों का कारखाना खोलने की अपील व्यवसायियों से करते हुए कहा कि सरकार उन्हें जमीन से लेकर तमाम सुविधाएं देगी. पिछली सरकार ने कृषि यंत्रों पर अनुदान घटा दिया था, लेकिन मांझी सरकार ने इसे बढ़ा दिया.
वे अगर अपनी जमीन देंगे तो उस जमीन पर बननेवाला स्कूल भी उन्हीं के नाम पर होगा. सीएम ने कहा कि जब हमने पूछा कि वित्तरहित स्कूलों को अनुदान कितना दिया जाता है, तो कहा गया कि करीब 282 करोड़ रुपये. अगर उन्हें नियोजित शिक्षकों के अनुसार वेतन देंगे, तो 100 करोड़ रुपये लगेंगे. ऐसे में हमने निर्णय लिया कि वित्तरहित स्कूलों के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों को नियोजित स्कूलों के शिक्षकों की तरह वेतन देंगे. मुख्यमंत्री ने शिक्षकों के आंदोलन पर कहा अगर घर के सदस्य को कोई परेशानी होती है, तो वह अपने मुखिया से कहता है, ऐसा नहीं कि वह घर में आग लगा देता है. आज समाज को अच्छे, निष्ठावान और कर्तव्यनिष्ट शिक्षकों की आवश्यकता है. अगर अच्छे शिक्षक मुङो नहीं मिलते, तो हरवाहा और कभी दारू चुआनेवाले का बेटा जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री नहीं बनता.