वॉशिंगटन : अमेरिका में एक पुलिसकर्मी के बलप्रयोग के कारण आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हुए 57 वर्षीय भारतीय के परिजन इस संबंध में मामला दर्ज कराएंगे. कई मानवाधिकार संगठनों ने इस घटना को ‘पुलिस की बर्बरता’ और ‘नस्ल के आधार पर की गई कार्रवाई’ करार दिया है.
कई भारतीय अमेरिकी संगठनों और मानवाधिकार संगठनों ने अलबामा में अपने बेटे के घर घूमने आए सुरेश भाई पटेल के खिलाफ की गई बर्बरता की निंदा ही नहीं की है अपितु उस पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है जिसके गुस्से ने पिछले सप्ताह उन्हें लकवाग्रस्त बना दिया है.
सुरेश भाई पटेल अलबामा के हंट्सविले में बसे अपने पुत्र चिराग पटेल के साथ रहने के लिए दो सप्ताह पहले अमेरिका आये थे. वह पिछले सप्ताह सडक किनारे टहल रहे थे तभी एक पुलिस कर्मी ने उन्हें रोका. पटेल अंग्रेजी नहीं जानते और वह अधिकारी के सवालों का जवाब नहीं दे पाए. वह केवल इतना ही कह पा रहे थे, ‘अंग्रेजी नहीं आती.’
इस बीच उन्होंने अपना एक हाथ अपनी जेब में डाला. सुरेशभाई के बेटे चिराग पटेल ने कहा, ‘पिता जी पास में टहलने गए थे जहां हर कोई टहलता है और यह एक फुटपाथ है जो किसी की जागीर नहीं है. उन्हें अंग्रेजी नहीं आती. उन्होंने टूटी फूटी अंग्रेजी में उन्हें बताने की कोशिश की कि वह टहल रहे हैं और उन्होंने अपने घर का नंबर बताया.
इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें जमीन पर धक्का दे दिया.’ उन्होंने कहा, ‘हमने पुलिस से ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग मांगी है और वे इसे देने से इनकार कर रहे हैं.’ इस बीच नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, ‘अटलांटा में महावाणिज्य दूतावास मेडिसन पुलिस प्रमुख के साथ संपर्क में है और दूतावास संबंधी सभी प्रकार की आवश्यक सहायता मुहैया करा रहा है.’
पटेल के परिवार का प्रतिनिधित्व कर रहे हांक शेरोड ने बताया कि अधिकारी को उकसाया नहीं गया. इसके बावजूद उसने हिंसा की और पटेल को जमीन पर धक्का मारा जिससे वह खून में लथपथ और आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गए. शेरोड ने कहा कि पटेल का परिवार मामला दर्ज कराएगा.
उन्होंने कहा कि पीडित को मुख्य रूप से उसकी नस्ल के कारण निशाना बनाया गया. पटेल को अंग्रेजी नहीं आने के कारण स्थिति और बिगड गई. साउथ एशियन अमेरिकंस लीडिंग टूगेदर (साल्ट) की सुमन रघुनाथन ने कहा, ‘यह घटना दक्षिण एशियाई लोगों की नस्ल के आधार पर होने वाली प्रोफाइलिंग, उनकी निगरानी और उनके खिलाफ होने वाली हिंसा को दर्शाती है जिसका उन्हें अकसर सामना करना पडता है.’
पटेल का इस समय उपचार चल रहा है. मेडिसन पुलिस के अनुसार पुलिस अधिकारियों को ‘एक संदिग्ध व्यक्ति’ के बारे में सूचना मिली थी. इसलिए उन्होंने पटेल से पूछताछ की और वे उसकी तलाशी लेना चाहते थे. व्यक्ति को नीचे गिराया गया जिसके कारण वह लकवाग्रस्त हो गया.
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) में मानवाधिकार के वरिष्ठ निदेशक समीर कालडा ने कहा, ‘पुलिस ने उस व्यक्ति पर हमला किया जिसने कोई अपराध नहीं किया था. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि तामर राइस और एरिक गार्नर मामलों से पुलिस अधिकारी द्वारा दिखाई गई आक्रामकता जारी है.’
उन्होंने कहा, ‘हालांकि मेडिसन पुलिस विभाग ने संबंधित अधिकारी को निलंबित करके उचित कदम उठाया है, इस बात को लेकर गंभीर प्रश्न खडे होते हैं कि ऐसी घटना कैसे हो सकती है.’ मेडिसन पुलिस विभाग ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं और संबंधित अधिकारी को जांच पूरी होने तक प्रशासनिक अवकाश पर भेज दिया गया है.