संवाददाता, पटनाराजधानी की कचरा प्रबंधन योजना वर्ष 2008 से पहेली बनी है. केंद्र की नुरूम योजना के तहत इसके लिए 26 करोड़ रुपये मिले, लेकिन छह वर्षों में कुछ भी नहीं हुआ. इस दौरान विभाग ने पांच मंत्री व सात नगर आयुक्त देखे. शुरुआती दिनों में निगम प्रशासन ने आउटसोर्स कर कचरा प्रबंधन योजना के तहत कुछ इलाकों में काम शुरू किया, लेकिन विवाद में फंस गया. इसके बाद कभी बुडको, तो कभी विभाग के स्तर से योजना पूरा करने का निर्णय लिया गया, लेकिन किसी स्तर पर काम शुरू नहीं किया गया. फिलहाल, निगम के जिम्मे योजना को दिया गया है और टेंडर निकालने की कोशिश की जा रही है. विभागीय मंत्री व सचिव के दिशा-निर्देश पर नगर आयुक्त कदम बढ़ाते हैं और योजना को निगम स्थायी समिति व निगम बोर्ड से स्वीकृति लेने की प्रक्रिया है. कचरा प्रबंधन का काम बुडको को दिया गया, तो निगम बोर्ड ने ससमय निर्णय नहीं लिया. इसके बाद लंबे समय तक फाइल पड़ी रही और अब नगर मुख्य अभियंता द्वारा एक बार टेंडर निकाला गया है. इसको लेकर दो बार प्री-बिड मीटिंग हुई. इस मीटिंग के आधार पर टेंडर की सेवा-शर्त में थोड़ा बदलाव कर दोबारा टेंडर निकाला जाना है, लेकिन अब तक नहीं निकला है. हालांकि, मंत्री ने घोषणा की है कि एक मार्च से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का काम शुरू कर देना है.
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पहेली बना कचरा प्रबंधन
संवाददाता, पटनाराजधानी की कचरा प्रबंधन योजना वर्ष 2008 से पहेली बनी है. केंद्र की नुरूम योजना के तहत इसके लिए 26 करोड़ रुपये मिले, लेकिन छह वर्षों में कुछ भी नहीं हुआ. इस दौरान विभाग ने पांच मंत्री व सात नगर आयुक्त देखे. शुरुआती दिनों में निगम प्रशासन ने आउटसोर्स कर कचरा प्रबंधन योजना के […]
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