धनबाद. नि:शक्त व विधवाओं के हक को ले राष्ट्रीय जागरूकता पर निकले सरदार कुलदीप सिंह राठौर सोमवार को धनबाद पहुंचे. 60 साल के कुलदीप में नौजवानों सा जज्बा है. यही वजह है कि अबतक करीब 18 राज्यों में 38, 500 किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुके हैं. हर जगह मुख्यमंत्रियों एवं राज्यपालों से वे मिले और नि:शक्तों का पक्ष रखा, मांगें मनवायीं. कुछेक राज्यों में सरकार को मांगें मानने पर मजबूर भी किया. बचपन से ही पोलियो के शिकार कुलदीप कभी अपने ऊपर इसे हावी नहीं होने दिया. ट्राइसाइकिल की मदद से अपनी यात्रा शुरू की. कुलदीप ने बीकॉम तक की शिक्षा प्राप्त की है और उनकी पत्नी बीएससी थीं. पत्नी अब दुनिया में नहीं रहीं. अपनी यात्रा से पहले कुलदीप ने अपनी बेटी को डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करा उनकी शादी की. फिर नि:शक्तों की लड़ाई लड़ने को निकल पड़े. 1.12.2015 से शुरू सफर : कुलदीप ने अपनी यात्रा पंजाब के लुधियाना से एक दिसंबर 2010 से शुरू की थी. अपनी ट्राइसाइकिल में वे बेडिंग, ब्रीफकेस व कुछ खाने का सामान लेकर चलते हैं. रात में किसी पेट्रोल पंप के पास डेरा जमाते हैं और गुरुद्वारे के लंगर छकते हैं. उनकी ट्राइसाइकिल में अंगरेजी में डेरिंग एंड डैशिंग टूरिस्ट लिखा है, जो उनके जज्बे का परिचायक है.
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60 की उम्र में भी नौजवानों सा जज्बा
धनबाद. नि:शक्त व विधवाओं के हक को ले राष्ट्रीय जागरूकता पर निकले सरदार कुलदीप सिंह राठौर सोमवार को धनबाद पहुंचे. 60 साल के कुलदीप में नौजवानों सा जज्बा है. यही वजह है कि अबतक करीब 18 राज्यों में 38, 500 किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुके हैं. हर जगह मुख्यमंत्रियों एवं राज्यपालों से वे […]
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