नयी दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के दौरान 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है. आर्थिक वृद्धि की गणना पद्धति और आधार वर्ष में बदलाव के बाद जारी इन अनुमानों ने वृद्धि दर के मामले में चीन को पीछे छोड दिया है. नयी गणना के आधार पर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के आर्थिक वृद्धि आंकडे भी आज जारी किये गये. अक्तूबर से दिसंबर तिमाही के दौरान आर्थिक वृद्धि 7.5 प्रतिशत रही.
इन आंकडों को देखते हुये अब यह अटकलें लगायी जा रहा है कि एशिया की तीसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था भारत क्या वर्ष 2010-11 के बाद अपनी सबसे तेज वृद्धि हासिल करेगी. वर्ष 2010-11 में भारत की वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत थी. वर्ष 2010-11 में जहां सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना साधन लागत के आधार पर की गई थी. इसे अब बदलकर अब स्थिर मूल्यों के आधार पर किया गया है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं में सकल मूल्य वर्धन को शामिल किया गया है.
इसके साथ ही आधार वर्ष को 2004-05 से बदलकर 2011-12 कर दिया गया है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने नये पैमानों पर वर्ष 2013-14 की आर्थिक वृद्धि को 4.7 प्रतिशत से संशोधित कर 6.9 प्रतिशत कर दी थी. जीडीपी वृद्धि आंकडे में आये इस बदलाव को लेकर रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन सहित कुछ अर्थशास्त्रियों ने इनमें कुछ और स्पष्टता की जरुरत पर बल दिया है.
रिजर्व बैंक गवर्नर ने तीन फरवरी को मौद्रिक समीक्षा जारी करने के बाद कहा, ‘जीडीपी आंकडों को समझने के लिये हमें और समय चाहिये.’ राजन ने अपनी समीक्षा में 2014-15 की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.5 प्रतिशत पर ही बरकरार रखा. राजन ने कहा, ‘हम नौ फरवरी को जारी होने वाले आंकडों पर नजर रखे हुये हैं और जो आयेगा उसपर गहराई से विचार करेंगे. फिलहाल इस समय इन जीडीपी आंकडों पर ठोस विचार बनाना जल्दबाजी होगी.’
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि आर्थिक वृद्धि गणना में किया गया बदलाव भ्रमित करने वाला है क्योंकि निवेश गतिविधियों में अभी तेजी नहीं आई है. कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट के बावजूद उपभोक्ता मांग नहीं बढी है. सरकार द्वारा आज जारी अग्रिम अनुमानों में वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय 88,538 रुपये रहने का अनुमान है जो कि इससे पिछले वर्ष की 80,388 रुपये के मुकाबले 10.1 प्रतिशत बढ गई.
जीडीपी के अग्रिम अनुमानों में जिन क्षेत्रों का बेहतर योगदान रहा है उनमें विनिर्माण क्षेत्र की 6.8 प्रतिशत वृद्धि प्रमुख रही है. इसके अलावा अधिकतर सेवाओं में भी सात प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई. वित्तीय सेवायें, रीयल एस्टेट, होटल और परिवहन क्षेत्र में सात प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई.
हालांकि, कृषि क्षेत्र में 1.1 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि पिछले वित्त वर्ष में हासिल 3.7 प्रतिशत के मुकाबले काफी कम रही है. भारत और चीन की अर्थव्यवस्था के बीच तुलना के बारे में जब पूछा गया तो केंद्रीय साख्यिकी कार्यालय में महानिदेशक अशीष कुमार ने कहा, यह कोई सौंदर्य प्रतियोगिता नहीं है.
चीन की अर्थव्यवस्था भारत के मुकाबले चार-पांच गुना बडी है. उन्होंने कहा कि 7 प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि हासिल करने के बावजूद चीन के आकार की अर्थव्यवस्था की बराबरी करने में 20 से 30 साल लग सकते हैं. राष्ट्रीय आय की गणना का आधार वर्ष सांख्यिकी मंत्रालय समय समय पर बदलता रहता है ताकि अर्थव्यवस्था की वास्तविक तस्वीर पेश की जा सके. गणना का वर्ष 2004-05 से बदलकर अब 2011-12 कर दिया गया है.
आधिकारिक आंकडों के अनुसार स्थिर मूल्यों पर सकल मूल्य वर्धन 2013-14 के 91.70 लाख करोड रुपये से बढकर 2014-15 में 98.58 लाख करोड रुपये होने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में 6.8 प्रतिशत, खान एवं उत्खनन में 2.3 प्रतिशत, बिजली, गैस और जलापूर्ति क्षेत्र में 9.6 प्रतिशत और निर्माण क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है.
इससे पिछले वर्ष इन क्षेत्रों में क्रमश 5.3 प्रतिशत, 5.4 प्रतिशत, 4.8 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत वृद्धि हासिल की गई थी. अक्तूबर से दिसंबर 2014 की तिमाही में अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत वृद्धि रही जो कि एक साल पहले इसी तिमाही में 6.6 प्रतिशत थी. इस दौरान मुख्यतौर पर सेवा क्षेत्र में बेहतर विस्तार रहा. तीसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र में 0.4 प्रतिशत गिरावट रही जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में कृषि क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी.
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