21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का आंकड़ा इस साल के अंत तक हो सकता है जारी

नयी दिल्ली : सरकार राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) श्रृंखला का चौथा सर्वे करा रही है और उम्मीद है कि इसकी रपट इसी साल जारी होगी. यह बात आज राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष प्रणव सेन ने कही. उन्होंने कहा कि फिलहाल नीति-निर्माताओं के पास पोषण के संबंध में बहुत कम आंकड़ा है और नया […]

नयी दिल्ली : सरकार राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) श्रृंखला का चौथा सर्वे करा रही है और उम्मीद है कि इसकी रपट इसी साल जारी होगी. यह बात आज राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष प्रणव सेन ने कही.
उन्होंने कहा कि फिलहाल नीति-निर्माताओं के पास पोषण के संबंध में बहुत कम आंकड़ा है और नया राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का आंकड़ा नए नीतिगत कार्यक्रम पेश के लिए महत्वपूर्ण होगा ताकि कुपोषण और अन्य स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से निपटा जा सके.
सेन ने यहां पोषण संबंधी आंकड़ों के संबंध में आयोजित गोल-मेज परिचर्चा में कहा, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण चल रहा है और अधिकारी फिलहाल फील्ड में हैं. यह इस साल आना चाहिए. यह पूछने पर कि क्या विभिन्न घरेलू और वैश्विक संगठनों के पोषण के आंकड़े भारत की सही तस्वीर पेश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, आंकड़े बहुत कम हैं और ये नीति निर्माताओं के लिए पर्याप्त नहीं हैं. एनएफएचएस-4, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नेतृत्व में हो रहा है और इस सर्वे में 29 राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों के 5,68,200 परिवार शामिल हैं जबकि 2005-06 में हुए पिछले सर्वेक्षण में करीब 1,09,000 परिवारों को शामिल किया गया था.
सर्वेक्षण में देश के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं. यह कुपोषण (सामान्य से कम वजन और वृद्धि वाली आबादी) के आंकड़ों का एकमात्र स्रोत है.
इससे पहले पोषण के आंकड़े के संबंध में सेन ने कहा कि देश में पोषण के स्तर को समझने के लिए केवल अनाज के उत्पादन और मंडी के आंकडे ही पर्याप्त नहीं होते. इसके लिए खाद्य का वितरण और कीमत भी महत्वपूर्ण होती है.
सेन ने कहा, फिलहाल आंकड़ों की कमी है क्योंकि स्थान के लिहाज से खाद्य उत्पादन का आकलन कर सकते हैं और कुछ हद तक खाद्य कीमतों का भी आकलन करने में समर्थ हैं लेकिन मंडी के अलावा खाद्य उत्पादों के वितरण का आकलन करना बेहद मुश्किल है. उन्होंने कहा कि इसका एक तरीका है कि पोषण निगरानी केंद्रीय प्रणाली स्थापित करना होना चाहिए.
उनके विचारों का समर्थन करते हुए वैश्विक विचार संस्था इंटरनैशनल फूड पालिसी रिसर्च इंस्टीच्यूट (आईएपीआरआई) की वरिष्ठ रिसर्च फेलो पूर्णिमा मेनन ने कहा कि मौजूदा सर्वेक्षण जिसमें एनएफएचएस, जिला स्तरीय परिवार सर्वेक्षण, सालाना स्वास्थ्य सर्वेक्षण, भारतीय परिवार विकास सूचकांक शामिल हैं, पोषण के स्तर की विवरणात्मक न कि व्यापक तस्वीर पेश करता है.
उन्होंने कहा कि ये आंकड़ा पांच साल पुराना है और ज्यादातर संकेतकों के संबंध में सूचना मुहैया नहीं कराता.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें