संवाददाता, मुजफ्फरपुरबरात की शोभा बढ़ाने आये गजराज ‘रुप सिंह’ आखिर मान ही गये. तीन दिनों तक दुल्हन के दरबाजे पर जमे रहने के बाद सोमवार की रात ढ़ाई बजे अपने मालिक के घर की ओर विदा हुए. बताया गया कि रूप सिंह को बुलाने के लिए मालिक व मालकिन ब्रह्मपुरा स्थित विद्या निकेतन मोहल्ला में पहुंचे थे. इन लोगों ने शाम में रूप सिंह को मनाने का काफी प्रयास किया. इस क्रम में पूजा-अर्चना भी की गयी. उस समय तो रूप सिंह मालिक की बात नहीं माना. लेकिन, रात में अपने मालिक के छोटे बेटे डॉ जितेंद्र के दुलार पर वह अपने कदमों को घर की ओर बढ़ा दिया. परिवारिक सूत्रों से मिली के अनुसार रूप सिंह का जितेंद्र से विशेष सनेह था. जितेंद्र सबसे अधिक देख भाल भी करता था. वह 30 जनवरी से ही रुप सिंह को मनाने में लगें हुए थे. सोमवार की देर रात वह गजराज रुप सिंह के पास गये. सुंड को सहलाया. फिर सुंड पकड़ कर आगे बढ़े. उनके कदम के साथ-साथ गजराज के भी कदम बढ़ाने लगा. ऐसी चर्चा है कि राजदेव राय के को संतान नहीं हो रहा था. तो उन्होंने गजराज पाला. इसके बाद ही पुत्र की प्राप्ती हुई. परिवार के लोगों के बीच रुप सिंह का काफी महत्व है.
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मालिक के पूजा-अर्चना के बाद विदा हुए रूप सिंह
संवाददाता, मुजफ्फरपुरबरात की शोभा बढ़ाने आये गजराज ‘रुप सिंह’ आखिर मान ही गये. तीन दिनों तक दुल्हन के दरबाजे पर जमे रहने के बाद सोमवार की रात ढ़ाई बजे अपने मालिक के घर की ओर विदा हुए. बताया गया कि रूप सिंह को बुलाने के लिए मालिक व मालकिन ब्रह्मपुरा स्थित विद्या निकेतन मोहल्ला में […]
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