पटना : अगर दवाओं की खरीद जल्द नहीं हुई, तो 10 दिन बाद से अस्पतालों में संकट पैदा हो जायेगा. जबसे घोटाले का मामला उजागर हुआ है, दवा की खरीद एक तरह से बंद है. निगरानी के खौफ की वजह से हर कोई इससे बचना चाह रहा है. नतीजा यह है कि दवा का भंडार खाली होता जा रहा है. बीएमएसआइसीएल सहित मेडिकल कॉलेजों में होनेवाली टेंडर प्रक्रिया के प्रथम चरण में ही कमेटी के सदस्य नहीं पहुंच रहे हैं.
पीएमसीएच में एक साल की दवाएं निगम के माध्यम से भेजी गयी थीं. इनमें कई दवाएं खत्म हो गयी हैं और ये निगम के भंडार में भी नहीं हैं. जिन अस्पतालों से मांग हो रही है, वहां थोड़ी-बहुत भेज दी जा रही है. मरीजों की भीड़ के सामने दवाएं कम पड़ रही हैं. अगर दवा खरीद की प्रक्रिया अभी से भी शुरू की जाये, तो उसमें कम-से-कम एक माह लगेगा. तब तक अस्पतालों में दवाएं खत्म हो जायेंगी. बीएमएसआइसीएल ने छह माह पहले दवाओं की खरीद की थी. एक बार में तीन माह के लिए ही दवाएं खरीदी जाती हैं.
जानकारी के मुताबिक, परचेज कमेटी की मीटिंग 29 जनवरी को होनेवाली थी, लेकिन सदस्यों के नहीं पहुंचने से बैठक अधूरी रह गयी. पीएमसीएच में दवा खरीद के लिए 28 जनवरी को टेंडर खोला जाना था, लेकिन परचेज कमेटी के 13 सदस्य नहीं पहुंचे. ऐसे में बैठक अधूरी रह गयी.
हर जगह संकट
पीएमसीएच, एनएमसीएच, पीएचसी, अनुमंडलीय व रेफरल अस्पतालों में दवाओं की कमी होने लगी है. पीएमसीएच के मरीजों को कई दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं.
टेंडर प्रक्रिया चल रही है. सभी सदस्य बैठक में नहीं आ रहे हैं. गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में दवा की कमी हुई थी. अभी हमारे पास तो स्टॉक है, लेकिन जल्द दवाओं की खरीद जरूरी है.
डॉ केके मिश्र, सिविल सजर्न, पटना
ओपीडी व इमरजेंसी में अभी दवा की कमी नहीं है. कुछ दवाइयां, जो निगम से आती हैं, वे नहीं आ रही हैं. खरीद की प्रक्रिया अपने स्तर से शुरू हुई है. जल्द ही दवाइयों की खरीद हो जायेगी.
डॉ सुधांशु सिंह, उपाधीक्षक पीएमसीएच
दवाओं की कमी है, लेकिन अभी काम चल रहा है. दवा खरीद को लेकर होनेवाली बैठकों में कमेटी के सदस्य आते हैं. ओपीडी में फिलहाल 36 दवाएं मिल रही हैं. अभी कमी नहीं है.
डॉ संतोष कुमार, अधीक्षक एनएमसीएच