चेन्नई : कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहीं जयंती नटराजन ने आज प्रेस कांफ्रेस करते हुए कांग्रेस पार्टी पर खुलकर हल्ला बोला है. जयंती ने कांग्रेस से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि यहां अब उनका दम घुटने लगा था. जयंती नटराजन मनमोहन सिंह की सरकार में पर्यावरण मंत्री थीं और उनके कार्यकाल में पर्यावरण मंत्रालय में दर्जनों प्रोजेक्ट्स मंजूरी के लिए लटकाए जाने का आरोप उनपर लगा था.जयंती नटराजन ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर द्वारा पूरे मामले की जांच कराने का स्वागत किया है. नटराजन ने कहा है कि अगर उन्होंने कुछ गलत किया है, तो उन्हें फांसी पर चढाये जाने के लिए तैयार हैं या फिर जेल भेजे जाने के लिए तैयार हैं.
जयंती ने अपनी तकलीफों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने लिखा था कि राहुल गांधी के दबाव में उनके द्वारा लिये जाने वाले फैसले पर पार्टी की तरफ से उन्हें ही निशाना बनाया जाता था और उनके खिलाफ मीडिया में शातिर, झूठे और प्रायोजित खबरें प्लांट की जाती थीं.
जयंती के सोनिया को लिखे इस पत्र के बाद देश की राजनीति में बड़ा भूचाल आ गया है और मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान सोनिया और राहुल की सरकार के निर्णयों में हस्तक्षेप को लेकर बीजेपी आक्रामक हो गई है. अपने पत्र में लिखे आरोपों को लेकर आज चेन्नई में जयंती ने प्रेस कांफ्रेस में इस मामले को मीडिया के सामने रखा. जयंती ने कहा कि वर्तमान समय मेरे जीवन के सबसे दुखद क्षणों में से एक है. मेरा पूरा परिवार कई पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़ा रहा है और मैं अपने परिवार की चौथी पीढ़ी की कांग्रेसी सदस्य हूं. मेरे दादा इस देश की संविधान सभा के सदस्य रह चुके हैं. कांग्रेस का खून हमारे रगों में बहता रहा है लेकिन अब ऐसा लगता है कि कांग्रेस में यह समय मेरे लिए अत्यंत वेदना का है और मुझे इस पार्टी में रहना है या नहीं इस बारे में पुनर्विचार करना पड़ेगा.
अब मुझे ऐसा लगने लगा है कि ये वो कांग्रेस नहीं रही, जो पहले हुआ करती थी. मैं 1986 से कांग्रेस पार्टी में हूं. दस वर्षों तक मैं पार्टी की प्रवक्ता भी रही लेकिन कभी भी मेरे काम को लेकर किसी ने मुझ पर उंगली नहीं उठाई. प्रधानमंत्री से लेकर सोनिया गांधी तक ने मेरे काम की तारीफें की हैं. मैंने हमेशा ईमानदारी से अपना काम किया है.
उनके पर्यावरण मंत्री के कार्यकाल को लेकर जयंती ने कहा कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सोच को लेकर पार्टी और मेरा मानना था कि उनकी योजनाओं को आगे बढ़ाना चाहिए. पर्यावरण मंत्रालय में तमाम योजनाओं को मंजूरी लेकर मेरे मंत्रालय पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का बहुत ज्यादा दबाव रहता था. राहुल गांधी के कार्यालय की तरफ से मुझे वन और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित बनाये रखने का भारी दबाव रहता था. जयंती ने कहा कि ओड़िशा के नियमगिरि में वेदांता को अनुमति देने के निर्णय के संबंध में भी उनपर राहुल गांधी का दबाव था. उन्होंने कहा कि उन्हें राहुल गांधी के कार्यालय से कहा गया कि वहां के आदिवासियों की अधिकतम सुरक्षा सुनिश्चित की जाये और वेदांता को पर्यावरणीय अनुमति नहीं दी जाये. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन पर अत्यधिक द्वेषपूर्ण दबाव था. उन्होंने यह कि कहा है कि अदानी के प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के संबंध में भी उन पर दबाव था.
जयंती ने कहा कि मैंने सिर्फ मुझे दिए गए निर्देशों का पालन किया और इसी वजह से कई प्रोजेक्ट्स को मैंने मंजूरी नहीं दी, जिसकी वजह से मुझे अपनी सरकार की कबिनेट मीटिंग में भी अपने सहयोगियों और वरिष्ठ साथियों से कई बार तीखी नोक-झोंक का सामना करना पड़ा था.
मैं सिर्फ पार्टी लाइन के अनुसार अपना काम कर रही थी. खुद सोनिया गांधी ने मुझे पत्र लिखकर वनों की रक्षा सुनिश्चित करने को कहा था.
जयंती ने आगे कहा कि 17 नवंबर 2013 को जब मैं बाहर यात्रा पर थी तो उसी दौरान मुझे कांग्रेस पार्टी की तरफ से अजय माकन का फोन आया था और उन्होंने मुझे कहा कि आप इसी समय वापस आ जाइये. आपको नरेंद्र मोदी के ऊपर जासूसी मुद्दे (स्नूप गेट) पर राजनीतिक हमला करना होगा. जयंती ने कहा कि माकन की इस बात पर ऐसा करने से मैंने इनकार कर दिया था और कहा था कि मैं ऐसा नहीं कर सकती. इसके बावजूद माकन ने मुझ पर दबाव बनाया और मजबूर होकर, दुखी मन से मुझे ऐसा करना पड़ा.
इसके बाद 20 दिसंबर 2013 को मुझे तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के कार्यालय से फोन आया और कहा गया कि पीएम मुझसे मिलना चाहते हैं. जब मैं प्रधानमंत्री के पास पहुंची तो वो बहुत दुखी और दबाव में दिखाई दिए. उन्होंने मुझसे कहा कि श्रीमती सोनिया गांधी ने उनसे कहा कि मुझे अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को सौंपना होगा और अब पार्टी के काम के लिए मेरी जरुरत है. इस पर मैंने श्रीमती सोनिया गांधी को फोन किया और उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि हां, अब मुझे पार्टी की जिम्मेदारी उठानी है. मैंने तत्काल प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया और मीडिया को भी ये बताया गया कि अब मुझे पार्टी का काम देखना होगा लेकिन उसके बाद राहुल गांधी के कार्यालय की तरफ से मेरे बारे में दुष्प्रचार किया गया कि पार्टी को मेरे सहयोग की कोई जरुरत नहीं है और मुझे पार्टी का काम-काज करने को नहीं कहा गया है.
जयंती ने कहा कि उनके मंत्रित्व के काम को लेकर खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनकी तारीफ़ की थी फिर भी उनके काम-काज को लेकर उनपर झूठे आरोप लगाये जाते रहे. जयंती ने कहा कि पार्टी की जिम्मेदारी सम्हालने के बाद भी उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा. इसी कड़ी में एक दिन फिर से अजय माकन का फोन उनके पास आया और उन्होंने कहा कि पार्टी में नए लोग प्रवक्ता बनाए जानेवाले हैं. इसलिए, उन्हें पार्टी के प्रवक्ता पद से हटाया जा रहा है. जयंती ने कहा कि ये खबर सुनकर मैं सदमे में आ गयी.
उन्होंने कहा कि इन तमाम घटनाओं से मैं आहत हो गयी थी और अंत में मुझे लगा कि अब समय आ गया है कि मुझे कांग्रेस पार्टी में अपने बने रहने को लेकर पुनर्विचार करना होगा.
जयंती नटराजन के इस कदम के बाद अब उनके भारतीय जनता पार्टी में जाने को लेकर कयास लगने लगे हैं मगर अभी तक भाजपा की तरफ से इस पर कोई सकारात्मक बयान सामने नहीं आया है. भाजपा अभी इस मुद्दे पर सधे कदम से प्रतिक्रिया कर रही है. ऐसे, में दिल्ली में विधानसभा चुनाव के पहले जयंती का कांग्रेस का दमन छोड़कर भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए सदमे से कम नहीं होगा.