मुंबई : रिजर्व बैंक ने आज बैंकों को एक अहम निर्देश देते हुये कहा है कि वे व्यक्तिगत तौर पर कर्ज लेने वालों के लिये कर्ज के नियम सरल बनाएं. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बैंकों को छोटे कर्ज लेने वालों से ‘कोई बकाया नहीं का प्रमाणपत्र’ लेने की अनिवार्यता छोड देनी चाहिये. रिजर्व बैंक ने कहा है कि उसे खासतौर से ग्रामीण और छोटे शहरों के ग्राहकों से इस प्रकार की शिकायतें मिलीं हैं कि बैंक ‘नो ड्यू सर्टिफिकेट’ के बिना कर्ज देने से इनकार कर रहे हैं.
रिजर्व बैंक ने जारी अधिसूचना में कहा है, ‘कर्ज लेनदारों, विशेषकर ग्रामीण और छोटे शहरों में, बिना किसी परेशानी के कर्ज उपलब्ध कराने और प्रौद्योगिकी विकास तथा बहुपक्षीय वित्तपोषण के बारे में जानकारी हासिल करने के बैंकों के पास उपलब्ध विभिन्न तौर तरीकों को देखते हुये उन्हें सलाह दी जाती है कि वे व्यक्तिगत कर्ज लेनदारों से ‘नो ड्यू सर्टिफिकेट’ लेना छोड दें.’
रिजर्व बैंक ने कहा है कि ग्रामीण और छोटे शहरों में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के अलावा संयुक्त देनदारी समूहों द्वारा लिये जाने वाले सभी तरह के कर्ज में इस तरह का प्रमाणपत्र लेने की जरुरत नहीं है. यह निर्देश सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के तहत दिये जाने वाले कर्ज पर भी लागू होगा चाहे यह कर्ज कितनी भी राशि का हो.
रिजर्व बैंक ने इससे पहले छोटे और सीमांत किसानों के लिये 50,000 रुपये तक के कृषि कर्ज पर सेवा क्षेत्र नियमों में ढील दिये जाने और सरल प्रक्रिया अपनाने का निर्देश दिया था. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस तरह के कर्ज को मंजूरी देते समय बैंक ‘नो ड्यू सर्टिफिकेट’ लेने पर जोर देने के बजाय जांच-परख का दूसरा रास्ता अपना सकते हैं.
इसमें कर्ज लेने वाले व्यक्ति के बारे में पुरानी जानकारी हासिल करना, उससे स्वघोषणा पत्र हासिल करना तथा दूसरे तौर तरीकों से निगरानी आदि का तरीका अपनाया जा सकता है.
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