लेकिन, अभिषेक कुमार की मौत के बाद कई सवाल उठे हैं. पुलिस के समक्ष मृतक के परिजनों ने जो बयान दिया है, वह विद्यालय के प्रतिष्ठा पर सवाल खड़ा करने वाला है. वैसे भी यह विद्यालय कई बार ऐसे ही मामलों को लेकर सुर्खियों में रहा है. सदर अस्पताल में अपने पुत्र के शव को पोस्टमार्टम कराने के लिए पहुंचे महेंद्र चौधरी ने बिलखते हुए कहा कि अभिषेक की जान सीनियर छात्रों की रैगिंग में गयी है. आठवीं क्लास के छात्र कभी उससे पानी मंगवाते थे, कभी कपड़ा धुलवाते थे तो कभी चापाकल चलवाते थे.
नामांकन के बाद से ही सीनियर अभिषेक व आदित्य को प्रताड़ित करते थे. अभिषेक की कई बार पिटाई की गयी. अभिभावक से शिकायत करने पर और भी प्रताड़ित करते थे. आठ दिन पहले अभिषेक अपने घर हैदर नगर आया था. बातचीत के दौरान कुछ लड़कों का नाम भी बताया था, जो उसे प्रताड़ित करते थे. छत पर ले जाकर भी उसे पीटते थे. सीनियर छात्रों के अत्याचार से अभिषेक सहमा रहता था. 24 जनवरी की रात इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी विद्यालय प्रबंधन ने इसकी सूचना हमें नहीं दी. रात साढे 11 बजे छोटा पुत्र आदित्य, जो छठी कक्षा के सेक्शन बी में पढ़ता है, उसने फोन किया कि अभिषेक काफी सीरियस है. हॉस्पिटल ले जाया गया है. हाउस टीचर से 12 बजे रात में बात हुई, लेकिन सिर्फ तबीयत खराब होने की बात कही. ढाई बजे के करीब वहां पहुंचा. बारुण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लावारिस हाल में अभिषेक का शव पहुंचा. विद्यालय प्रबंधन के लोग फरार हो चुके थे.