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बचाव ही बेहतर विकल्प

इम्यून सिस्टम के अति संवेदनशील होने से एलर्जी की समस्या होती है. एलर्जी कई प्रकार की होती है, मगर लोगों में सबसे आम है- एलर्जिक राइनाइटिस. यह रोग नाक में एलर्जी के कारण होता है, अत: इसे नेजल एलर्जी भी कहते हैं. इसमें भी सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण दिखते हैं, लेकिन यह आम सर्दी से बिल्कुल […]

इम्यून सिस्टम के अति संवेदनशील होने से एलर्जी की समस्या होती है. एलर्जी कई प्रकार की होती है, मगर लोगों में सबसे आम है- एलर्जिक राइनाइटिस. यह रोग नाक में एलर्जी के कारण होता है, अत: इसे नेजल एलर्जी भी कहते हैं. इसमें भी सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण दिखते हैं, लेकिन यह आम सर्दी से बिल्कुल अलग है. इसमें बचाव ही सबसे कारगर उपाय है, वहीं परेशानी बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह से सही उपचार लेना चाहिए.
अक्सर लोग राइनाइटिस को भी आम सर्दी-जुकाम समझ लेते हैं और उपचार भी इसी प्रकार लेते हैं. मगर डॉक्टर के मुताबिक यह अलग बीमारी है और इसका उपचार लक्षण के आधार पर किया जाना चाहिए. कुछ लोगों में यह आनुवंशिकी भी होती है, जो उम्र के किसी भी पड़ाव में विकसित हो सकती है. सर्दी का मौसम इसके प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जो इसे बढ़ावा देता है. यह रोग पूरी तरह ठीक तो नहीं हो सकता पर लक्षणों को पहचान कर इसे काबू में किया जा सकता है. ऐसा कोई भी तत्व जिनके प्रति शरीर संवेदनशील होता है और प्रतिक्रिया देता है, उसे एलर्जन कहते हैं. ये एलर्जन जब शरीर में बार-बार प्रवेश कर जाते हैं, तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अतिसंवेदनशील हो जाती है. उसके बाद कम मात्र में भी एलजर्न के शरीर में प्रवेश करने पर शरीर प्रतिक्रिया व्यक्त करता है और इस कारण कई तरह की समस्याएं होती हैं. इसे ही एलर्जी कहते हैं. यह किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है. एलर्जी के कारण एलर्जिक राइनाइटिस, (नाक बहना, जुकाम), दमा, पित्ती (अर्टिकेरिया), दाद, फीवर, एन्जिया, एडेमा इत्यादि समस्याएं होती हैं.
क्या है राइनाइटिस एलर्जी
राइनाइटिस एलर्जी ‘नेजल’ एलर्जी को कहते हैं. नाक सांस लेने के अलावा हवा को फिल्टर भी करता है. जब बाहरी कण जैसे धूल, परागकण आदि नाक द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं, तो राइनाइटिस एलर्जी का खतरा बढ़ जाता है. यह किसी भी उम्र में हो सकता है. यह मौसमी और स्थाई दो प्रकार का होता है. मौसमी राइनाइटिस एलर्जी मौसम विशेष में देखने को मिलता है, जैसे सर्दी में होनेवाली एलर्जी. वहीं, स्थाई राइनाइटिस एलर्जी साल भर पीड़ित को अपनी चपेट में रखती है. मौसम के बदलने से भी यह ठीक नहीं होती है. किसी खास मौसम में स्थाई राइनाइटिस एलर्जी और विकराल रूप धारण कर लेती है.
क्या हैं कारण
बदलता हुआ मौसम, प्रदूषण, धूल-मिट्टी
नमी, तापमान में अचानक परिवर्तन त्नजानवरों के बाल व रेशे
परागकण. इसके होने का एक प्रमुख कारण ठंड के दिनों में कमरे का बंद रहना व घरों को गरम रखना है. यह मोल्ड के विकसित होने और इसके प्रसार के लिए उपयुक्त वातावरण में होता है. मोल्ड भी एक प्रभावी एलजर्न है. अत: ऐसे में इससे बचने के लिए घर को हवादार बनाये रखना भी जरूरी होता है. इसके अलावा इस मौसम में डस्ट माइट्स से भी एलर्जी का खतरा होता है. ये बहुत ही सूक्ष्म कीट होते हैं. वैक्यूम क्लीनर से सफाई करके इससे बचा जा सकता है.
न करें अनदेखा
यदि राइनाइटिस एलर्जी का समय पर इलाज न किया जाये, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं. इसके कारण नेजल पॉलिप, साइनसाइटिस यानी नाक के अंदर साइनस नामक जगह पर हवा के लिए आवागमन का रास्ता बंद हो जाना आदि समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए राइनाइटिस एलर्जी के लक्षण नजर आते ही तुरंत डॉक्टर को दिखा कर उचित उपचार कराएं. फ्लू समझ कर इसके लिए खुद से दवाइयां न लें.
डॉ श्वेता गोगिया
सीनियर इएनटी, सर गंगाराम हॉस्पिटल, नयी दिल्ली
अन्य प्रकार के एलर्जी के लक्षण
आंख की एलर्जी : आखों में लालिमा, पानी आना, जलन होना, खुजली आदि
श्वसन तंत्र की एलर्जी : इसमें खांसी, सांस लेने में तकलीफ एवं अस्थमा जैसी गंभीर समस्या हो सकती है त्नत्वचा की एलर्जी : त्वचा की एलर्जी में त्वचा पर खुजली होना, दाने निकलना, एग्जिमा, पित्ती उछलना आदि होता है
खान-पान से एलर्जी : बहुत से लोगों को खाने-पीने की चीजों जैसे दूध, अंडे, मछली, चॉकलेट आदि से एलर्जी होती है त्नसंपूर्ण शरीर की एलर्जी : कभी-कभी कुछ लोगों में एलर्जी से गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाती है और सारे शरीर में एक साथ इसके लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं ऐसे में तुरंत हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए त्नअंगरेजी दवाओं से एलर्जी : पेनिसिलिन का इंजेक्शन, दर्द की गोलियां,सल्फा ड्रग्स एवं कुछ एंटीबायोटिक दवाएं खतरनाक हो सकती हैं. इसे एलजिर्क रिएक्शन कहते हैं.
पहचानें इसके लक्षण
10-12 बार लगातार छींक आना.
लंबे समय तक खांसी होना, गले में कफ जमना.
नाक से पानी बहना या नाक का बंद हो जाना.
आंखों व गले में खुजली महसूस होना.
सांस लेने में तकलीफ होना.
सूंघने की शक्ति कम हो जाना.
सावधानी बरत करें बचाव
धूल और प्रदूषण से बचें
एकदम से धूल भरी हवा के संपर्क में न आएं
घर के अंदर फूलोंवाले पौधे या ताजे फूल न रखें.
पालतू जानवरों से भी दूरी बना कर रखें और उन्हें सप्ताह में एक बार जरूर नहलाएं.
बदलते मौसम में नाक ढक कर बाहर निकलें
स्मोकिंग करनेवाले व्यक्ति से दूरी बना कर रखें परफ्यूम व अन्य सुगंधित चीजों से दूर रहें.

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