दावोस (स्विट्जरलैंड) : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आगामी बजट में कर की दरें नहीं बढाने तथा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देने का संकेत देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था की 8-9 प्रतिशत वृद्धि के लिये कुछ ‘बुनियादी बदलाव’ करने होंगे. यहां विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा आयोजित वार्षिक सम्मेलन में वैश्विक निवेशकों जोरदार तरीके से भारत की ओर आकर्षित करते हुए वित्त मंत्री ने स्थिर कर व्यवस्था का भी वादा किया जिसमें किसी अनुचित मांग का नोटिस नहीं जाएगा और न ही पिछली तिथि से कोई नया कर लगाया जाएगा.
‘भारत का अगला दशक’ पर आयोजित सत्र में उन्होंने कहा, ‘विनिर्माण को प्रोत्साहन देने की बात है तो यह मुद्दा हमारे एजेंडे में है. हालांकि पिछले बजट में हमारे पास कुछ ही दिन थे, हमने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई), राष्ट्रीय निवेश तथा विनिर्माण क्षेत्र (निम्ज) तथा अन्य के लिये प्रावधान किया क्योंकि हम चाहते हैं कि क्षेत्र में तेजी आये और हमारे एजेंडे में इसे उच्च प्राथमिकता मिली हुई है.’ विनिवेश, लाभांश तथा स्पेक्ट्रम बिक्री समेत सरकार के राजस्व के विभिन्न स्रोत का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि देश में आर्थिक गतिविधियों के जोर पकडने पर सरकार की राजस्व जुटाने की क्षमता भी बढेगी.
उन्होंने कल देर रात संवाददाताओं से कहा, ‘मैं कर की दर बढाने के पक्ष में नहीं हूं क्योंकि यह अनुत्पादक हो सकता है.’ जेटली ने उम्मीद जतायी कि भारत ऐसी जगह के करीब है जब निवेश बढेगा क्योंकि बडी संख्या में निवेशक हैं जो देश में आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘वे केवल निर्णय लेने की प्रक्रिया तथा नीतियों में स्थिरता में विश्वसनीयता को लेकर आश्वस्त होना चाहते हैं.’
अरूण जेटली ने आज के सत्र में कहा कि सुधारों की एक श्रृंखला आगे बढाने की जरुरत है क्योंकि पिछले 10 साल अनवाश्यक बहस में चले गये. उन्होंने कहा, ‘अब हमारे पास अवसर आ गया है. धीरे-धीरे हम (भाजपा) उच्च सदन (राज्य सभा) में अच्छी संख्या की दिशा में आगे बढ रहे हैं. सुधारों के समर्थक (समूह) हर जगह जीते हैं.’ जेटली ने कहा कि तेल कीमतों में गिरावट एक अन्य कारक है जो भारत के पक्ष में है. साथ ही भारत के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही दुनिया में कई अर्थव्यवस्थाएं अच्छा नहीं कर रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘वास्तव में यह हमारे लिये संभव है कि हम उच्च वृद्धि दर की पुरानी क्षमता पर वापस जाएं. जहां तक कर का संबंध है, वैश्विक समुदाय तथा भारतीय करदाता स्थिर कर व्यवस्था का भरोसा चाहते हैं.’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘मैं अनुचित मांग और पूर्व की तारीख से कर में बदलाव नहीं कर सकता. इस प्रकार की कर मांग ऐसी है कि जिससे हमें मिलता तो कुछ नहीं और केवल हमारा नाम खराब होता है. उन्होंने कह, ‘जो संदेश मैं दे रहा हूं कि वह यह है कि हमारी कर व्यवस्था स्थिर होगी.’
यह पूछे जाने पर कि क्या अगले महीने पेश होने वाला बजट बडे सुधारों वाला (बिग बैंग) होगा, उन्होंने कहा कि वह टेलीविजन स्टूडियो में उपयोग होने वाले इस प्रकार के मुहावरों में वह नहीं पडते. सरकार ने जो भी कदम उठाये हैं, उसे जोडकर देखा जाए तो यह ‘बिग बैंग’ से बडा होगा. जेटली ने कहा, ‘सरकार के लिये बजट बहुत महत्वपूर्ण अवसर है लेकिन अगला 364 दिन भी समान रूप से अहम है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं उम्मीदों को हल्का नहीं कर रहा हूं. हमने पिछला बजट पेश किया, उसमें क्या हुआ. हमने बजट में एक विशेष दिशा की घोषणा की और उसके बाद अगले छह महीने में काफी गतिविधियां और कार्यवाही हुई.’ सब्सिडी के बारे में बात करते हुए जेटली ने कहा कि एक जनवरी से योजना शुरू हो गयी है जिसके तहत सब्सिडी के दुरुपयोग को रोका जाएगा. उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में सरकार ने अधिकार-आधारित दृष्टिकोण के आधार पर व्यय बढाया है जो कि बहुत तार्किक सोच नहीं है.
जेटली ने कहा, ‘यह गलत धारणा रखना कि सब्सिडीयुक्त सिलेंडर सालाना 6 से बढाकर 12 करने से आप चुनाव जीतेंगे. ऐसा नहीं है. अब भारत में गैस सिलेंडर के उपभोक्ता गरीब नहीं है.’ वित्त मंत्री ने कहा कि अतिरिक्त गैस सिलेंडर का पैसा यदि देश में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में जाता है तो यह ज्यादा बेहतर होगा. इसे प्राथमिकता मिलनी चाहिये. उन्होंने कहा, ‘हमें पूरी प्रक्रिया को स्पष्ट करना है. यह लंबी यात्रा है. सरकार पूर्ण अवधि के लिये है और हमने केवल शुरुआत की है.’
नीतिगत शिथिलता से जुडे प्रश्नों के जवाब में जेटली ने कहा कि पिछले दशक में जो सबसे बडा झटका रहा है वह सरकार की विश्वसनीय का प्रभावित होना रहा. इसीलिए अन्य संस्थाएं ज्यादा ताकतवर हुईं. उन्होंने कहा, ‘कैग, सीबीआई तथा अदालतें ज्यादा शक्तिशाली हुई. आम धारणा यह रही कि सरकार कुछ अतिरिक्त सोच के साथ काम कर रही थी. यह सरकार के लिये बडा झटका था.’
अरुण जेटली ने कहा कि पर्यावरण और अन्य कारणों से कई निर्णय अटक गये. इसके अलावा 1991 के आर्थिक सुधारों से भी पहले के बने भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों से भी समस्या बढी. इस कानून के तहत ईमानदार निर्णय समेत हर फैसले को कानून के दायरे में लाया जा सकता है. उन्होंने कहा, ‘मैं भारत सरकार के तीन अत्यंत ईमानदार सचिवों को जानता हूं, जिनके पिछले 10-12 साल के दौरान वाणिज्यिक आधार पर लिये गये निर्णयों के लिये सीबीआई द्वारा जांच की गई और अभियोजन लगाया गया.’
जेटली ने कहा, ‘मेरा मानना है कि हमारे लिये कानून की समीक्षा का समय आ गया है. इसमें धारा 31 की समीक्षा होनी चाहिये, जिसके तहत प्रत्येक ईमानदार निर्णय भी सीबीआई के दायरे में पहुंच सकता है. हमें नौकरशाहों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सशक्त बनाने की जरुरत है. अगर हम 8-9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि चाहते हैं तो ढांचागत बदलाव करने होंगे.’