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(फोटो दुबे जी की होगी)करीम सिटी में ‘बज्म ए शफीक’ का हुआ आयोजनकृष्णा गांगुली ने पेश कीं अनेक लोकप्रिय गजलेंप्राचार्य डॉ जकरिया एवं अन्य ने भी गायीं गजलेंजमशेदपुर. ‘यूं ही बेसबब न फिरा करो, कोई शाम घर भी रहा करो, वो गजल की सच्ची किताब है, उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो…’ करीम सिटी कॉलेज में मशहूर […]

(फोटो दुबे जी की होगी)करीम सिटी में ‘बज्म ए शफीक’ का हुआ आयोजनकृष्णा गांगुली ने पेश कीं अनेक लोकप्रिय गजलेंप्राचार्य डॉ जकरिया एवं अन्य ने भी गायीं गजलेंजमशेदपुर. ‘यूं ही बेसबब न फिरा करो, कोई शाम घर भी रहा करो, वो गजल की सच्ची किताब है, उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो…’ करीम सिटी कॉलेज में मशहूर गायिका कृष्णा गांगुली के स्वर में बशीर बद्र की यह गजल गूंजी तो मौजूद लोगों पर खामोशी सी तारी हो गयी. वे कॉलेज के संस्थापक शफीक साहब की याद में आयोजित शाम-ए-गजल ‘बज्म ए शफीक’ में गजलें पेश कर रही थीं. इसके बाद उनकी एक के बाद एक पेश गजलें लोगों के कानों में रस सी घोलती रहीं, जिनका उन्होंने खूब आनंद लिया. उन्होंने शुरुआत जिगर मुरादाबादी की गजल ‘दुनिया के सितम याद न अपनी वफा याद…’ के साथ की, जिसके बाद बशीर बद्र की प्रसिद्ध गजल ‘हमसफर साथ चलते हैं, बेवफा रास्ते बदलते हैं…’ पेश की. हालांकि, इससे पूर्व कॉलेज के प्राचार्य डॉ मो रफीक जकरिया ने दुष्यंत कुमार की गजल ‘मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूं…’ पेश कर सबको आह्लादित कर दिया. आयोजन में उनके अलावा कॉलेज के स्नातक द्वितीय वर्ष के छात्र अजय यादव एवं संगीत शिक्षक चंदन ब्रह्मा ने भी गजलें पेश कीं. संचालन कॉलेज के प्राध्यापक डॉ अहमद बद्र ने किया.

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