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भारत की स्थिति करो या मरो वाली, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नयी रणनीति के साथ उतरेगी टीम इंडिया

सिडनी : पहले दो मैचों में बल्लेबाजी क्रम में कुछ परिवर्तन और कुछ नये संयोजन आजमाने के बावजूद हार झेलने वाली भारतीय टीम लगता है कि सही तालमेल बिठाने और त्रिकोणीय श्रृंखला में बने रहने के लिये विराट कोहली को आगे भी नंबर चार पर उतार सकती है. महेंद्र सिंह धौनी और टीम को बल्लेबाजों […]

सिडनी : पहले दो मैचों में बल्लेबाजी क्रम में कुछ परिवर्तन और कुछ नये संयोजन आजमाने के बावजूद हार झेलने वाली भारतीय टीम लगता है कि सही तालमेल बिठाने और त्रिकोणीय श्रृंखला में बने रहने के लिये विराट कोहली को आगे भी नंबर चार पर उतार सकती है.

महेंद्र सिंह धौनी और टीम को बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन के कारण इंग्लैंड के खिलाफ ब्रिस्बेन में नौ विकेट से हार झेलनी पडी थी. भारत अब करो या मरो की स्थिति में पहुंच गया है और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होबार्ट में अगले वनडे से पहले धौनी बल्लेबाजी को लेकर चिंतित हैं.

धौनी ने कोहली को नंबर चार पर उतारने के फैसले के बारे में ब्रिस्बेन मैच के बाद कहा था, हमें मध्यक्रम और निचले क्रम को अधिक मजबूत बनाना होगा. रविंद्र जडेजा भी टीम में नहीं है. यदि स्टुअर्ट बिन्नी खेल रहा हो तो फिर यह : विराट को तीसरे नंबर पर उतारना : चल सकता है क्योंकि हम जानते हैं कि वह थोडा बल्लेबाजी कर सकता है. लेकिन यदि अक्षर पटेल और आर अश्विन के अंतिम एकादश में होते हैं तो फिर सुरेश रैना और मैं पांचवें और छठे नंबर पर आते हैं और उसके बाद हमारी बल्लेबाजी नहीं बच पाती है.
उन्होंने कहा, यदि विराट चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करता है और विकेट जल्दी गिरते हैं तो वह 12वें या 13वें ओवर के आसपास बल्लेबाजी के लिये उतरेगा और वह साझेदारी बना सकता है. वह एक छोर से बल्लेबाजी कर सकता है और हम दूसरे छोर से उसका साथ निभा सकते हैं. कोहली मेलबर्न और ब्रिस्बेन दोनों मैचों में अस्वाभाविक शाट खेलकर आउट हुए तथा क्रमश: नौ और चार रन ही बना पाये. अब भी यह देखना बाकी है कि क्या टीम प्रबंधन उन्हें इसी स्थान पर उतारेगा या फिर उन्हें तीसरे नंबर पर भेजता है जिस पर बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने अपने 21 वनडे शतकों में से 14 शतक जमाये हैं.
असल में दूसरे बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन के कारण समस्या बढ गयी है. कोहली को अपनी नई पोजीशन से तालमेल बिठाने के लिये समय चाहिए और ऐसे में शिखर धवन और अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाजों को मौकों का पूरा फायदा उठाना चाहिए. बायें हाथ का बल्लेबाज धवन अपने बेपरवाह अंदाज के कारण टीम में बना हुआ है लेकिन 2013 में चैंपियन्स ट्रॉफी में मैन आफ द टूर्नामेंट बनने के बाद वह विदेशी सरजमीं पर केवल दो वनडे शतक ही लगा पाये हैं.
गेंदबाजी भी भारत के लिये चिंता का विषय है जिससे भारत टूर्नामेंट के शुरु में बाहर होने की कगार पर पहुंच गया है. ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड दोनों शुक्रवार को होबार्ट में एक दूसरे से भिडेंगे और इस मैच की विजेता टीम का एक फरवरी को पर्थ में होने वाले फाइनल में पहुंचना तय है.

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