उन्होंने कहा कि पेयजल व स्वच्छता मद में केंद्र से मिली राशि के खर्च में बिहार सरकार तेजी लाये. राशि उपलब्ध होने के बाद भी योजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से नहीं हो रहा है. राज्य में एक लाख सात हजार 640 ग्रामीण वसावट में मात्र 50203 बसावट ग्रामीण पेयजल आपूर्ति से कवर हो पाया है. गुणवत्ता प्रभावित 6599 वसावट है. इसमें 357 आर्सेनिक, 893 फ्लोराइड, 5348 लौह प्रभावित व एक नाइट्रेट से प्रभावित है. एक लाख सात हजार 640 ग्रामीण वसावट में 12866 के लिए जल गुणवत्ता जांच रिपोर्ट उपलब्ध है.
2014-15 में ग्रामीण पेयजल आपूर्ति के मद में केंद्र से वित्तीय प्रगति कार्यक्रम के लिए राज्य को 410 करोड़ आवंटित हुआ. राज्य सरकार ने अब तक मात्र 220 करोड़ खर्च की है. वित्तीय प्रगति सहायता गतिविधि के लिए 27.78 करोड़ आवंटित किया गया. इसमें राज्य सरकार ने मात्र 1.99 करोड़ खर्च किया.