बाद में केंद्र सरकार श्रम विभाग के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा खर्च की गयी राशि वापस कर देती है. इस योजना के तहत राज्य को पहले अपने कोष से प्रति क्विंटल 648.47 रुपये की दर से खर्च करना पड़ता है. राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान इस योजना के लिए 4.29 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया है. पर, केंद्र सरकार द्वारा इस मद में चावल का आवंटन नहीं होने की वजह से चालू वित्तीय वर्ष के दौरान इस योजना के तहत किसी को चावल नहीं मिला है. पिछले वित्तीय वर्ष केंद्र द्वारा दिये गये आवंटन के तहत मार्च 2014 तक ही अन्नपूर्णा योजना का लाभ असहाय बूढ़े लोगों को मिल सका था.
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केंद्र प्रायोजित अन्नपूर्णा योजना का हाल, 54 हजार वृद्धों को 10 माह से चावल नहीं
रांची: चालू वित्तीय वर्ष के दौरान केंद्र प्रायोजित अन्नपूर्णा योजना बंद है. इससे 54 हजार 939 बूढ़े असहाय लोगों को पिछले 10 माह से मुफ्त चावल नहीं मिल रहा है. भारत सरकार द्वारा इस मद में चावल का आवंटन बंद किये जाने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है. केंद्र प्रायोजित अन्नपूर्णा योजना के […]
रांची: चालू वित्तीय वर्ष के दौरान केंद्र प्रायोजित अन्नपूर्णा योजना बंद है. इससे 54 हजार 939 बूढ़े असहाय लोगों को पिछले 10 माह से मुफ्त चावल नहीं मिल रहा है. भारत सरकार द्वारा इस मद में चावल का आवंटन बंद किये जाने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है.
केंद्र प्रायोजित अन्नपूर्णा योजना के तहत असहाय बूढ़े लोगों को प्रति माह मुफ्त में 10 किलोग्राम चावल देने का प्रावधान है. राज्य में असहाय बूढ़ों की संख्या 54 हजार 939 है. इन असहाय बूढ़े लोगों को जिला प्रशासन के माध्यम से प्रति माह 10 किलोग्राम चावल मुफ्त में उपलब्ध कराया जाता है. राज्य के इन असहाय बूढ़े लोगों को चावल देने पर राज्य का एक भी पैसा खर्च नहीं होता है. राज्य सरकार पहले इस मद में खर्च करती है.
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