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काहे मोरा सतावे पिया….

लाइफ रिपोर्टर@पटनासंगीत के दो पक्ष होते हैं पहला कला पक्ष, जो रियाज से आता है और दूसरा भाव पक्ष, जो चरित्र से उत्पन होता है. कला और संस्कृति के बारे में ऐसी सारी बातें और गीत सुनने को मिली भारतीय नृत्य कला मंदिर में, जहां रविवार को कला संस्कृति एंव युवा विभाग द्वारा शास्त्रीय संगीत […]

लाइफ रिपोर्टर@पटनासंगीत के दो पक्ष होते हैं पहला कला पक्ष, जो रियाज से आता है और दूसरा भाव पक्ष, जो चरित्र से उत्पन होता है. कला और संस्कृति के बारे में ऐसी सारी बातें और गीत सुनने को मिली भारतीय नृत्य कला मंदिर में, जहां रविवार को कला संस्कृति एंव युवा विभाग द्वारा शास्त्रीय संगीत का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्य लोक गायक के रूप में अशोक कुमार ने कई सारी प्रस्तुति दी, इन्होंने अपनी सूर लय और ताल से बैठे दर्शकों का मन मोह लिया. यहां तबला पर चरणजीत सिंह मौजूद थे. इस सांस्कृतिक संध्या की महफिल दादर, राग यमन, छोटा ख्याल और तराना के तील ताल से जमी थी, जिसमें किसी के रात सोते कटी, तो किसी की रात रोते कटी…, काहे मोरा सतावे पिया.., तोरा बिन लागे ना जिया..जैसे कई गजल भी सुनने को मिली, जसे श्रोताओं ने सून तालियां बजाने में कोई कंजूसी नहीं की. इस कार्यक्रम का संचालन सीनियर आर्टिस्ट अमित परसार ने किया.

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