17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अरुण जेटली ने मीडिया को आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी

नयी दिल्ली: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया ट्रायल की निंदा करते हुए आज कहा कि सुर्खियों में रहने वाले मामलों में अदालतें अत्यंत दबाव में रहती हैं. उन्होंने मीडिया को आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी. सुनंदा पुष्कर की रहस्यमयी मौत और उनके पति शशि थरुर को लेकर मीडिया में तरह तरह […]

नयी दिल्ली: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने मीडिया ट्रायल की निंदा करते हुए आज कहा कि सुर्खियों में रहने वाले मामलों में अदालतें अत्यंत दबाव में रहती हैं. उन्होंने मीडिया को आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी.

सुनंदा पुष्कर की रहस्यमयी मौत और उनके पति शशि थरुर को लेकर मीडिया में तरह तरह की खबरों की पृष्ठभूमि में जेटली ने कहा कि मीडिया को इस बात पर आत्मावलोकन करना चाहिए कि जिन मामलों में लोगों की निजता शामिल हो, उनकी रिपोर्टिंग कैसे की जानी चाहिए.जेटली ने कहा, सुर्खियों वाले मामलों में भी लोगों की निजता उनकी जिंदगी का हिस्सा होती है. उन्होंने कहा कि किसी पति-पत्नी के बीच संबंधों या उनकी निजी बातचीत का सम्मान होना चाहिए.

न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन द्वारा मीडिया की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी विषय पर प्रथम न्यायमूर्ति जे एस वर्मा स्मृति व्याख्यान देते हुए जेटली ने कहा, जो मामले बिल्कुल व्यापक जनहित के नहीं होते, वे चीजों को बस मसालेदार बनाते हैं और ऐसे में मीडिया को गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करना होगा. मीडिया में समांतर ट्रायल करने के चलन को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जहां तक कुछ निचली अदालतों की बात है तो उन पर बडे मामलों में दबाव बन जाता है, जहां मीडिया एक तरह से किसी व्यक्ति को दोषी या बेगुनाह करार दे देती है.

हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि कोई मुद्दा अदालत में है, केवल इसलिए मीडिया पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती.स्वनियामक प्रणाली का पालन नहीं कर रहे चैनलों को अनुशासित करने के लिए सरकार को प्रयास करने के सुझाव पर जेटली ने कहा कि अगर दर्शक या श्रोता खुद ऐसा चाहते हैं तो वह इसे तवज्जो देंगे.

उन्होंने कहा, मुझे यह काफी मुश्किल लगता है. अगर सरकार मीडिया को नियंत्रित करने के काम में दखल देती है तो कुछ कठिनाइयां हो सकती हैं. मुझे ज्यादा सहजता तब होगी जब दर्शक या पाठक इस बारे में फैसला लें.

जेटली ने कहा कि अगर दर्शकों को कोई समाचार चैनल उचित नहीं लगता तो उन्हें दूसरा चैनल देखना चाहिए. आतंकवाद से जुडी घटनाओं के मीडिया कवरेज के संबंध में जेटली ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है.

मंत्री के मुताबिक खुफिया एजेंसियों ने दावा किया था कि मुंबई में 26-11 के आतंकवादी हमलों के दौरान ही उनके मीडिया कवरेज से हमलावरों के आकाओं को मदद मिली और उन्हें इस बात की सूचना मिलती रही कि सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रहीं हैं.

जेटली ने कहा, हमारी सुरक्षा एजेंसियों और रक्षा मंत्रालय का स्पष्ट मत है कि इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती और इसलिए जिस समय सुरक्षा अभियान चल रहा हो, उस सीमित अवधि में घटनास्थल से रिपोर्टिंग के तरीके पर बहुत सख्त अनुशासन बनाकर रखना होगा. उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर सरकार गंभीरता से और बहुत आगे की सोच के साथ विचार कर रही है.उन्होंने यह भी कहा कि परंपरागत तरीके से जहां सोचा जाता है कि किसी अखबार या चैनल पर पाबंदी लगाई जा सकती है लेकिन सचाई यह है कि प्रतिबंध के दिन लद गये हैं. अब विज्ञापन देने से मना करके मीडिया संस्थानों पर दबाव बनाना बहुत मुश्किल है.

सेंसरशिप की संभावना के संबंध में जेटली ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने इसे असंभव कर दिया है.उन्होंने कहा, मान लीजिए कि आज संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लगा दिया जाए तो भी सेंसरशिप का प्रभाव शून्य रहेगा. उपग्रह अपने आप में भौगोलिक सीमाओं को नहीं मानते. ईमेल इस दायरे में नहीं आता. फैक्स मशीन इसकी इजाजत नहीं देती. उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि एक दिन पेड न्यूज को दंडनीय अपराध बनाया जा सकता है.

जेटली ने एक नियम का भी उल्लेख किया जिसमें टीवी चैनलों को 12 मिनट से अधिक विज्ञापन दिखाने की अनुमति नहीं है.उन्होंने कहा कि क्या सरकार को अखबारों और चैनलों को बताना चाहिए कि कितने विज्ञापन और कितनी खबरें दिखाई जाएं.सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा, कितनी खबरें दिखाई जाएं और कितने विज्ञापन, इस बात में सरकार का दखल मेरे निजी विचार से खराब उदाहरण है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें