औरंगाबाद (ग्रामीण) : कड़ाके की ठंड पशु व पंछियों पर भारी पड़ रहा है. शीतलहर से शाम होते ही जिले के बाजारों में सन्नाटा पसर जा रहा है. अलाव की व्यवस्था नाकाफी साबित हो रहा है.
सदर अस्पताल औरंगाबाद में भरती होने वाले मरीजों को भी ठंड में ठिठुरना पड़ रहा है. इसके पीछे कंबल का अभाव कारण बन रहा है. अस्पताल में जितने बेड हैं उतने कंबल नहीं है. बुधवार को पुरुष व महिला वार्ड में भरती मरीज कड़ाके की ठंड में बिछाने की चादर ओढ़ कर काम चला रहे थे.
पुरुष वार्ड में भरती बारुण थाना क्षेत्र के हबसपुर निवासी मृत्युंजय कुमार, घर से लाये रजाई से ठंड का मुकाबला किया. इसी तरह फेसर थाना क्षेत्र के जमालपुर निवासी मंटू कुमार की स्थिति भी वही थी. इसके पास न रजाई थे न कंबल. बिछाने की चादर को ओढ़ कर ठंड से संघर्ष कर रहे थे.
मरीजों के परिजनों ने बताया कि कंबल नहीं दी गयी. एक स्वास्थ्य कर्मचारी ने बताया कि कंबल की जिम्मेवारी सुबह में ड्यूटी पर तैनात ए ग्रेड के नर्सो को दी जाती है. लेकिन, जब उनकी ड्यूटी समाप्त हो जाती है तो मरीजों को कंबल के लिए भटकना पड़ता है.
गौरतलब है कि प्रसव वार्ड को छोड़ कर पुरुष व महिला वार्ड में 36 बेड है. जितने बेड है उससे आधे भी कंबल नहीं है. इधर इस संबंध में पूछे जाने पर सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ तपेश्वर प्रसाद ने कहा कि मरीजों के लिए कंबल की काफी व्यवस्था है. कंबल की कोई कमी नहीं है. परेशानी होने पर कंबल की और व्यवस्था कर दी जायेगी.