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डीएओ की भूमिका पर उठ रहे सवाल

खगड़िया: कृषि विभाग में अनियमितता करने के आरोप में निचले कर्मी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज हो गयी, लेकिन वरीय पदाधिकारी से अब तक पूछताछ भी नहीं की गयी है. प्रभात खबर को कुछ ऐसे कागजात मिले हैं, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि जिला कृषि पदाधिकारी को इस बात की जानकारी पहले से […]

खगड़िया: कृषि विभाग में अनियमितता करने के आरोप में निचले कर्मी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज हो गयी, लेकिन वरीय पदाधिकारी से अब तक पूछताछ भी नहीं की गयी है. प्रभात खबर को कुछ ऐसे कागजात मिले हैं, जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि जिला कृषि पदाधिकारी को इस बात की जानकारी पहले से थी कि अनुज्ञप्ति निर्गमन संबंधी फाइल उसके कार्यालय में नहीं बल्कि अनुसेवक के आवास पर रहता था. उन्हें इसकी भी सूचना दी गयी थी कि ये फाइलें डीलिंग असिस्टेंट की जगह अनाधिकृत रूप से कार्यालय के अनुसेवक देवेंद्र प्रसाद सिंह के पास रहता है.
22 दिसंबर को एसडीओ ने छापेमारी कर अनुसेवक के आवास से ये फाइलें जब्त की थी. छापेमारी के काफी पहले जिला कृषि कार्यालय में पदस्थापित लिपिक सह नाजिर भानु प्रकाश ने 10 अक्तूबर 2014 को ही जिला कृषि पदाधिकारी तथा संयुक्त निदेशक (शल्य) मुंगेर को इसकी लिखित सूचना दी थी. रोचक बात यह है कि जब इसकी सूचना जिला कृषि पदाधिकारी को पहले दी गयी थी.
क्या दी थी लिपिक ने सूचना
10 अक्तूबर को लिपिक भानु प्रकाश ने जिला कृषि पदाधिकारी के साथ साथ संयुक्त निदेशक (शल्य) मुंगेर को भी इस बात की लिखित जानकारी दी थी. अनुज्ञप्ति निर्गमन संबंधी संचिका/ फाइल का प्रभार उनके पास है जबकि फाइल कार्यालय के ही अनुसेवक अपने पास रखे हुए हैं. मांगे जाने के बावजूद अनुसेवक उन्हें फाइल वापस नहीं कर रहे हैं. ये फाइल अनुसेवक अपने आवास पर रखते हैं. डीलिंग असिस्टेंट होने के नाते मात्र उनके हस्ताक्षर करवाया जाता है. लिपिक ने तंग आकर अपने पदाधिकारी को अनुज्ञप्ति निर्गमन के प्रभार से ही मुक्त करने का अनुरोध किया था. कार्रवाई नहीं होने पर इन्हें पुन: 24 नवंबर को भी इन्होंने संयुक्त निदेशक को आवेदन दिया था.
नहीं की कार्रवाई
लिपिक की शिकायत को जिला कृषि पदाधिकारी ने गंभीरता से नहीं लिया न ही अनुसेवक पर इन्होंने फाइल वापस देने का दबाव बनाया और न ही अनुसेवक के विरुद्ध कार्रवाई ही की. इतने महत्वपूर्ण एवं गंभीर मामले में अगर कृषि पदाधिकारी ने गंभीरता दिखायी होती तो शायद अनुज्ञप्ति संबंधी फाइलें अनुसेवक के आवास से वापस कार्यालय आ गयी होती.
लिपिक की शिकायत को संयुक्त निदेशक (शल्य) मुंगेर ने हालांकि गंभीरता से लिया. संयुक्त निदेशक ने 15 अक्तूबर को ही पत्र लिख कर डीएओ को लिपिक के शिकायत पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. अगर संयुक्त निदेशक के निर्देश का भी अनुपालन होता तो शायद 22 दिसंबर को एसडीओ के छापेमारी के दौरान अनुसेवक के आवास से लिपिक भानु प्रकाश के विरुद्ध जिला कृषि पदाधिकारी ने चित्रगुप्तनगर थाना में कांड संख्या 799/14 दर्ज करायी है.
प्राथमिकी दर्ज कराने के दौरान शायद जो बातें एसडीओ के छापेमारी में सामने आयी है. इसकी जानकारी तो उन्हें इस लिपिक ने दो माह पूर्व ही दी थी अगर उन्होंने पहले कार्रवाई की होती तो विभाग की इतनी फजीहत नहीं होती.

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