फोटो सुभाष के फोल्डर में संवाददाता, देवघरईश्वर सर्वशक्तिमान हैं. उनसे अलग होना मूर्खता है. उक्त बातें देवदास महाराज ने कही. महाराज जी अग्रहरि आश्रम में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि ईश्वर से अलग होना ही दु:ख का कारण है. भौतिकता में लिप्त होने से लोग सांसारिक सुख व ईश्वर दोनों से अलग हो रहे हैं. लाभ उठाने के लिए मनुष्य को कर्म में प्रयत्नशील होना चाहिए. कर्म उत्कृष्ट हो तो लाभ अवश्य मिलेगा. उन्होंने कहा कि पुराणों में कहा गया है कि परोपकाराय, पुण्याय, पापाय परपीडनम्. अर्थात परोपकार करने से पुण्य व दूसरे को कष्ट देने से पाप की प्राप्ति होती है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि शिरडीवाले साईं भारतवासी नहीं थे. और न भगवान थे. वह काबूल निवासी एक संत हो सकते हैं. हमारे यहां जीव-जंतु, पशु-पक्षी, नदी, पहाड़, पेड़-पौधा को भी सच्चे मन से पूजने से मनोकामनाएं पूरी होती है. यही सिद्धांत साईं पर भी लागू होता है. महाराज जी ने कहा कि साधु का राजनीति में कोई काम नहीं है. साधु का काम मार्ग दर्शन करना है. उन्होंने कहा कि लक्ष्य व उद्देश्य एक हो तभी सफलता मिलती है.
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ईश्वर से अलग होना दु:ख का कारण : देवदास
फोटो सुभाष के फोल्डर में संवाददाता, देवघरईश्वर सर्वशक्तिमान हैं. उनसे अलग होना मूर्खता है. उक्त बातें देवदास महाराज ने कही. महाराज जी अग्रहरि आश्रम में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि ईश्वर से अलग होना ही दु:ख का कारण है. भौतिकता में लिप्त होने से लोग सांसारिक सुख व ईश्वर दोनों से […]
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