कोलंबो. श्रीलंका की नयी सरकार इस बात की जांच करायेगी कि कि क्या, लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे महिंद्रा राजपक्षे को जब यह अहसास हो गया कि वह कड़े मुकाबले वाले राष्ट्रपति चुनाव हार रहे हैं, तब उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए सेना की मदद मांगी. एक सरकारी अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की अगुवाई वाली सरकार के प्रवक्ता मंगला समरवीरा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘नया मंत्रिमंडल जिस पहली चीज की जांच करवायेगा वह है तख्तापलट और राष्ट्रपति राजपक्षे द्वारा इसकी कथित साजिश.’ उन्होंने कहा, ‘उन्होंने तभी इस्तीफा दिया, जब सेना प्रमुख और पुलिस महानिरीक्षक ने उनका साथ देने से इनकार कर दिया.’ राजपक्षे (69) की शुक्रवार को राष्ट्रपति चुनाव में हार मान लेने पर व्यापक प्रशंसा हुई थी, जबकि मतगणना का अंतिम दौर अभी चल रहा था. समरवीरा ने कहा, ‘लोग सोचते हैं कि यह शांतिपूर्ण (सत्ता) परिवर्तन था. लेकिन, यह कुछ और था.’ इससे पहले नये राष्ट्रपति के मुख्य प्रवक्ता राजीत सेनारत्ने ने कहा था कि राजपक्षे ने चुनाव हारने के बाद सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दया रत्नायके पर सैनिकों को तैनात करने का दबाव डाला था. कहा, ‘सेना प्रमुख पर तैनाती के लिए गहरा दबाव था, लेकिन वह नहीं झुके. उन्होंने कुछ भी गैरकानूनी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘अंतिम क्षण में उन्होंने (राजपक्षे ने) अपने पद पर बने रहने का प्रयास किया. लेकिन जब उन्हें अहसास हो गया कि उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा तब ही उन्होंने हटने का फैसला किया.’
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तख्तापलट संबंधी राजपक्षे की कोशिश की होगी जांच
कोलंबो. श्रीलंका की नयी सरकार इस बात की जांच करायेगी कि कि क्या, लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे महिंद्रा राजपक्षे को जब यह अहसास हो गया कि वह कड़े मुकाबले वाले राष्ट्रपति चुनाव हार रहे हैं, तब उन्होंने सत्ता में बने रहने के लिए सेना की मदद मांगी. एक सरकारी अधिकारी ने रविवार को यह […]
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