फोटो : संबोष्ठी को संबोधित करते डॉ सिन्हाप्राकृतिक राल एवं गोंद के औषधीय उपयोग पर संगोष्ठी नामकुम. लाह में पाये जानेवाले लेकाइक एसिड का उपयोग कैंसर व एड्स जैसी बीमारियों के उपचार में किया जा सकता है़ इन दिनों इस विषय पर अध्ययन किया जा रहा है़ वहीं बैक्टीरिया व फफूंद से होनेवाले कई प्रकार के संक्रमण में यह एसिड कारगर साबित हुआ है. इतना ही नहीं, लाह रंजक का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों की कोटिंग में किया जाता है़ ये बातें उक्त बातें बीआइटी मेसरा के फार्मास्यूटिकल साइंस के विभागाध्यक्ष डॉ बीएन सिन्हा ने कही़ वे शुक्रवार को नामकुम स्थित भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद संस्थान में आयोजित प्राकृतिक राल एवं गोंद के औषधीय उपयोग विषय पर आयोजित नगर स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. डॉ सिन्हा ने लाह में पाये जानेवाले एल्यूरिटिक एसिड के बारे में भी बताया. वहीं, भारत में कई हानिकारक दवाओं के बेरोक टोक उपयोग तथा इसके दुष्प्रभावों से अनजान लोगों के स्वास्थ्य के प्रति सरकारी उदासीनता पर भी चिंता व्यक्त की गयी. संगोष्ठी को रांची विवि के रसायन विज्ञान विभाग के पूर्व प्राध्यापक डॉ जीडी मिश्रा ने भी संबोधित किया़ मौके पर संस्थान के निदेशक डॉ आर रमणी, डॉ एमजेड सिद्दीकी, डॉ निरंजन कुमार, डॉ केके शर्मा व डॉ अंजेश कुमार सहित अन्य उपस्थित थे.
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कैंसर व एड्स के इलाज में मदद कर सकता है लैकाइक एसिड
फोटो : संबोष्ठी को संबोधित करते डॉ सिन्हाप्राकृतिक राल एवं गोंद के औषधीय उपयोग पर संगोष्ठी नामकुम. लाह में पाये जानेवाले लेकाइक एसिड का उपयोग कैंसर व एड्स जैसी बीमारियों के उपचार में किया जा सकता है़ इन दिनों इस विषय पर अध्ययन किया जा रहा है़ वहीं बैक्टीरिया व फफूंद से होनेवाले कई प्रकार […]
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