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बंद नहीं, खुले दरवाजे को देखें

दक्षा वैदकर मो टिवेशनल स्पीकर हिमेश मदान अपने वीडियो में एक सच्ची कहानी सुनाते हैं. वे बताते हैं कि सितंबर, 1921 को जन्मे पॉल स्मिथ को बचपन से ही एक ऐसी बीमारी थी, जिसकी वजह से उनका अपने फेस, बॉडी मूवमेंट्स, स्पीच पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं था. वे नहाना, कपड़े पहनना, खाना खाने जैसा […]

दक्षा वैदकर

मो टिवेशनल स्पीकर हिमेश मदान अपने वीडियो में एक सच्ची कहानी सुनाते हैं. वे बताते हैं कि सितंबर, 1921 को जन्मे पॉल स्मिथ को बचपन से ही एक ऐसी बीमारी थी, जिसकी वजह से उनका अपने फेस, बॉडी मूवमेंट्स, स्पीच पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं था. वे नहाना, कपड़े पहनना, खाना खाने जैसा काम नहीं कर सकते थे. वे खुद को व्यक्त नहीं कर सकते थे और वे स्कूल भी नहीं जा सकते थे. लेकिन पॉल स्मिथ जैसे लोग यह साबित करते हैं कि मन में अगर कुछ करने की इच्छा है, तो आपको कोई भी प्रॉब्लम, कोई भी कमी नहीं रोक सकती.

पॉल को पेंटिंग करने का शौक था. उनके अंदर कुछ नया करने का जुनून था. उन्होंने इसी हिम्मत और साहस के साथ टाइपराइटर पर पेंटिंग बनाना शुरू कर दिया. क्योंकि पॉल का अपने हाथों पर अच्छा कंट्रोल नहीं था, वे अपने बायें हाथ से दायें हाथ को पकड़ते और टाइपराइटर के बटन्स को दबाते. वे ज्यादा टाइप नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्होंने कुछ सिंपल बटन्स को चुना और उसी से पेंटिंग बनाना शुरू किया. देखते ही देखते उन्होंने बेहद खूबसूरत 400 से ज्यादा पेंटिंग बना ली. उन्होंने दुनिया को साबित कर दिया कि डिसएबिलिटी सिर्फ दिमाग में होती है. अगर हम डिसएबिलिटी पर ध्यान देने की बजाय, उस पर रोने की बजाय एबिलिटी यानी काबिलीयत पर ध्यान दें, तो क्या कुछ नहीं कर सकते.

किसी ने सच ही कहा है कि जब भगवान एक दरवाजा बंद कर देता है, तो दूसरा दरवाजा जरूर खोल देता है. हम में से कई लोग बंद हुए दरवाजे को देख कर रोते रहते हैं. उसे देख कर अफसोस करते हैं और उसके ही खुलने का इंतजार करते हैं. हम पलट कर दूसरी तरफ नहीं देखते, जहां दूसरा दरवाजा खुला है.

दोस्तों, जिंदगी में अगर आगे बढ़ना है, तो किसी चीज के न होने पर अफसोस जताने की बजाय अपनी खूबियों को पहचानें और उस पर काम करें. जब आप मन लगा कर अपनी खूबी पर काम करते हैं, तो बड़े-से-बड़े चैलेंज भी आसान हो जाते हैं. बड़ी-से-बड़ी समस्या भी छोटी लगने लगती है. daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

बात पते की..

कई लोग अपने रंग, कद, चेहरे की बनावट, घर की आर्थिक स्थिति पर अफसोस जताने में पूरी जिंदगी निकाल देते हैं और कुछ नहीं कर पाते.

हर इनसान में कोई खूबी, तो कोई कमी होती है. कमी को देख कर रोने की बजाय, खूबी पर गर्व करें. उससे आगे बढ़ने की कोशिश करें.

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