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चार वर्ष में एक बार भी निरीक्षण नहीं

परबत्ता : प्रखंड के जोरावरपुर पंचायत अंतर्गत कज्जलवन गांव में एक ऐसा विद्यालय है जिसके स्थापना के चार वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक एक भी शिक्षक का पदस्थापन नहीं हो पाया है. यह विद्यालय अब भी इकलौते शिक्षक के प्रतिनियोजन के सहारे चलाया जा रहा है. प्राथमिक विद्यालय कज्जलवन दियारा की स्थापना 18 […]

परबत्ता : प्रखंड के जोरावरपुर पंचायत अंतर्गत कज्जलवन गांव में एक ऐसा विद्यालय है जिसके स्थापना के चार वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक एक भी शिक्षक का पदस्थापन नहीं हो पाया है.
यह विद्यालय अब भी इकलौते शिक्षक के प्रतिनियोजन के सहारे चलाया जा रहा है. प्राथमिक विद्यालय कज्जलवन दियारा की स्थापना 18 दिसंबर 2010 को किया गया था. स्थापना के दो वर्षो तक विद्यालय भूमिहीन था तथा झोंपड़ी में चलाया जा रहा था. वर्ष 2012 में ग्रामीण नागेश्वर मंडल ने विद्यालय की स्थापना के लिए तीन कट्ठा जमीन दान दिया. विद्यालय में 104 छात्र छात्राओं का नामांकन है.
किंतु एक शिक्षकीय विद्यालय होने के कारण प्रधान के मीटिंग आदि में जाने पर विद्यालय को बंद करने जैसे नौबत आ जाती है. स्थापना के दो वर्ष के उपरांत वर्ष 2012 में भवन निर्माण होने पर अब यह सुचारू रूप से चलने की स्थिति में है. परबत्ता प्रखंड की मुख्य भूमि से नौ किलोमीटर दूर दियारा में विद्यालय होने की वजह से यहां भवन निर्माण से लेकर मध्याहन भोजन योजना चलाना एक दुरूह कार्य है.
भवन निर्माण सामग्री को कई गाड़ियां बदल कर ले जाना पड़ता है तथा यही स्थिति मध्याहन भोजन के चावल का भी है. संवेदक द्वारा इस विद्यालय का चावल नया गांव गोढियासी में ही उतार दिया जाता है. विद्यालय के इकलौते शिक्षक सह प्रभारी राजेश मूल रूप से प्राथमिक विद्यालय सतखुट्टी के शिक्षक हैं. जिन्हें यहां 2010 से प्रतिनियोजित कर विद्यालय संचालन कराया जा रहा है. विद्यालय के भौगोलिक स्थिति का यह आलम है कि विद्यालय की स्थापना के चार वर्षो के बाद भी आज तक शिक्षा विभाग के किसी पदाधिकारी द्वारा निरीक्षण नहीं किया गया है. इस विद्यालय में बाढ़ के दिनों में छुट्टी दी जाती है. वर्तमान में यह गोगरी नारायणपुर बांध पर नयागांव गोढियासी से पश्चिम गंगा नदी की तरफ तीन किलोमीटर दूर है.
जहां तक जाने में गंगा की सह धारा को पार करना पड़ता है. जोरावरपुर पंचायत नियोजन इकाई द्वारा वर्ष 2012 में इस विद्यालय के लिए रिक्ति की घोषित की गयी. तथा आवेदक का चयन भी हुआ था. किंतु विद्यालय की भौगोलिक स्थिति को देख कर आवेदक ने दूसरे नियोजन इकाई का रूख किया. देखना होगा कि वर्तमान में चल रही नियोजन प्रक्रिया में इसे शिक्षक मिल पाता है या नहीं.

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