बोकारो: घर-घर में मकर संक्रांति की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. तिल धो कर सुख रहा है. तिलवा बांधा जा रहा है. चूड़ा-गुड़ की खरीदारी हो रही है. दही जमाने की योजना बन रही है. कोई अच्छी दही जमाने के लिए तरह-तरह का उपाय कर रहा है, तो किसी ने रेडिमेड दही खरीदने का प्लान बनाया है. चौक-चौराहे से लेकर सरकारी कार्यालयों तक तिल, तिलकुट, तिलवा, चूड़ा, गुड़, दही आदि की चर्चा हो रही है. मकर संक्रांति 15 जनवरी को है. इधर, सिटी सेंटर, दुंदीबाग बाजार, श्रीराम मंदिर मार्केट, चेक पोस्ट चास, धर्मशाला मोड़ चास, चक्की मोड़ सेक्टर 3 सहित चास-बोकारो में जगह-जगह तिलकुट, तिलवा, चूड़ा-गुड़ की दर्जनों दुकानें सज गयी हैं. तिलकुट बनाने के लिए गया से लगभग 200 कारीगर बोकारो आये हैं. तिलकुट चीनी और गुड़ दोनों का उपलब्ध है. बाजार में तीन से चार प्रकार का तिलकुट बिक रहा है. तिलकुट, तिलवा की खरीदारी के लिए दुकानों में भीड़ उमड़ रही है.
कई स्थानों पर लगेगा टुसू मेला
मकर संक्रांति के मौके पर चास-बोकारो में कई स्थानों पर टुसु मेला लगेगा. मेला में लोगों की भीड़ उमड़ती है. ग्रामीण क्षेत्रों में मेला की चहल-पहल और रौनक देखते ही बनती है. पिंड्राजोरा-गवांई बराज, दामोदर नदी-तेलमच्चो पुल, बिरसा पुल-चंदनकियारी सहित अन्य स्थानों टुसु मेला लगता है. लोग यहां टुसु के विसजर्न के लिए भारी संख्या में आते हैं. पारंपरिक रिति-रिवाज के साथ नाचते-गाते हैं. लोगों का उत्साह चरम पर होता है.
स्नान-दान के लिए जुटेंगे श्रद्धालु
मकर संक्रांति के मौके पर स्नान-दान के लिए श्रद्धालु गरगा नदी-चास, गरगा डैम-बालीडीह, टुटेन गार्डेन-सेक्टर 3, सूर्य सरोवर-सेक्टर 4, सिटी पार्क-सेक्टर 1, कुलिंग पौंड-सेक्टर 9, दामोदर नदी-तेलमच्चो पुल, गवांई बराज-पिंड्राजोरा, बिरसा पुल-चंदनकियारी सहित अन्य नदी-तालाब पर पहुंचेंगे. श्रद्धालु पहले स्नान करते हैं. उसके बाद विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं. फिर, अपनी क्षमता के अनुसार दान करते हैं. इस दिन स्नान-दान का बहुत महत्व होता हैं.
यहां उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़
मकर संक्रांति के मौके पर पूजा-अर्चना के लिए सेक्टर 1 स्थित श्रीराम मंदिर, सेक्टर 9 स्थित गायत्री मंदिर, सेक्टर 9 रामडीह मोड़ स्थित शिव मंदिर, आरपीएफ बैरक-बालीडीह स्थित शिव मंदिर, सेक्टर 6 स्थित शिव मंदिर, सेक्टर 4 स्थित जगन्नाथ मंदिर व सूर्य मंदिर, सेक्टर 3 स्थित शिव मंदिर, सेक्टर 2 स्थित काली मंदिर, सेक्टर 12 स्थित शिव लिंगाकार मंदिर, चास स्थित जोड़ा मंदिर, भूतनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ होगी.
देवताओं का प्रभात काल है मकर संक्राति
मकर संक्रांति के दिन सूर्य भगवान उत्तरायण हो जाते हैं. धर्म शाों में उत्तरायण की अवधि को देवताओं का दिन व दक्षिणायन की अवधि को रात्रि कहते हैं. इसलिए मकर संक्रांति देवताओं का प्रभात काल है. इस दिन से प्रकृति करवट लेती है. ठंड का प्रकोप कम होना शुरूहोता है. इस दिन गंगा स्नान, गंगा तट पर दान, तीर्थ राज प्रयाग व गंगासागर के स्नान-दान का विशेष महत्व है. मकर संक्रांति को पतंग उड़ाने की विशेष रूप से परंपरा है. सभी इस परंपरा का निर्वहन करते हैं.
तिल से बने पदार्थो का दान भी जरूरी
मकर संक्रांति को स्नान-दान का महापर्व माना जाता है. मान्यता के अनुसार, इस दिन स्नान-दान, जप-तप व श्रद्ध-अनुष्ठान करने से सौ गुणा पुण्य फल की प्राप्ति होती है. पर्व के ठंड के मौसम में पड़ने के कारण दीन-दु:खियों के बीच ऊनी व, कंबल, अलाव के लिए लकड़ी दान देने का विशेष महत्व होता है. तिल से बने पदार्थो का दान भी आवश्यक माना गया है. तिल का दान करने के कारण इसे तिल संक्रांति भी कहा जाता है. इस दिन दाल, चावल, नमक, घी भी दान किया जाता है.
खिचड़ी, पोंगल, बिहू..
मकर संक्रांति उत्तर भारत में खिचड़ी के नाम से जानी जाती है. दक्षिण भारत में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल के रूप में मनाया जाता है. असम में मकर संक्रांति को बिहू के नाम से जाना जाता है. महाराष्ट्र में विवाहित ी शादी के बाद पहली मकर संक्रांति पर तेल, कपास, नमक आदि वस्तुएं सुहागिनों को देती हैं. राजस्थान में इस दिन स्त्रियां तिल के लड्डु, घेवर व माठ को रुपये के साथ अपनी सास को भेंट देती हैं. बंगाल में पवित्र नदी-सरोवर में स्नान कर तिल दान करने का प्रचलन है.