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नरेंद्र को चेक पर बना दिया नागेंद्र

पटना: पटना विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मृत माली नरेंद्र के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा राशि देने की पहले भी इच्छा नहीं थी, जब चेक काटा गया था. कम-से-कम चेक देखने से यही लगता है. उस चेक का भुगतान चाह कर भी दुनिया के किसी भी बैंक में नहीं हो पाता, क्योंकि चेक पर माली […]

पटना: पटना विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मृत माली नरेंद्र के परिजनों को 25 लाख रुपये मुआवजा राशि देने की पहले भी इच्छा नहीं थी, जब चेक काटा गया था. कम-से-कम चेक देखने से यही लगता है.

उस चेक का भुगतान चाह कर भी दुनिया के किसी भी बैंक में नहीं हो पाता, क्योंकि चेक पर माली की पत्नी का नाम तो सही था, लेकिन माली का ही नाम गलत लिखा था. चेक पर नरेंद्र की जगह नागेंद्र लिखा हुआ था, जबकि विश्वविद्यालय में उसके अप्वाइंटमेंट

लेटर से लेकर अन्य सभी दस्तावेजों में माली का नाम नरेंद्र है. माली नरेंद्र की आत्महत्या के बाद जब कर्मचारियों की ओर से वीसी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया और मृतक के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की गयी, तो दबाव व आनन-फानन में मामले को निबटाने के लिए चेक दे दिया गया.

जान बचाने के लिए दिया था चेक : रजिस्ट्रार

कर्मचारियों की आवाज को दबाने के लिए चेक देने में कई गलतियां हुईं. इनमें एक गलती नाम को लेकर भी है. अब यह सवाल उठता है कि यह मानवीय भूल थी या जान-बूझ कर नाम गलत लिखा गया? चेक काटते वक्त अधिकारियों ने बिना दस्तावेज देखे ही कैसे दस्तखत कर दिया. इस पूरे मसले पर सोमवार को भी कुलपति सामने नहीं आये और न ही उन्होंने एसएमएस के माध्यम से भेजे गये प्रश्नों का जवाब ही दिया. हां, इस मामले में रजिस्ट्रार सुधीर श्रीवास्तव ने प्रभात खबर से बातचीत की :

चेक पर नाम कैसे गलत हुआ?

यह डॉक्यूमेंट देखने के बाद ही बता सकता हूं.

डॉक्यूमेंट की कॉपी है और आप देख सकते हैं?

मुङो नहीं देखना.

उस वक्त नाम को क्यों नहीं चेक किया गया?

चेक कई जगहों से होता हुआ आया था और इसलिए उस पर मैंने भी साइन कर दिया.

भले गलती नीचे से हुई, लेकिन चेक से लेकर नोटिफिकेशन तक के लिए रजिस्ट्रार ही अंतिम अधिकारी होते हैं?

नहीं, इतनी फाइलें यहां आती हैं कि सब कुछ मैं नहीं देख सकता.

ऐसे मामलों में कितनी राशि देने का प्रावधान है?

चूंकि ऐसी घटनाएं रोज-रोज नहीं होती, इसलिए इसके बारे में नहीं बता सकते.

उनके परिजनों का गुजारा कैसे होगा ?

कर्मचारी के मरणोपरांत जो भी करने का प्रावधान होगा, वह नियमानुकूल किया जायेगा.

जब इतनी राशि देने का प्रावधान नहीं था, तो फिर चेक कैसे तैयार किया गया?

यह सब दबाव में हुआ और ऐसी स्थिति में जान बचाना पहली प्राथमिकता होती है.

सिर्फ वीसी के कहने मात्र पर चेक कैसे काट दिया गया?

वीसी के कहने मात्र से नहीं, बल्कि उनके लिखित आदेश के बाद चेक तैयार किया गया था.

25 लाख की जगह 25 हजार रुपये दिये

पटना विश्वविद्यालय के वीसी प्रो वाइसी सिम्हाद्रि के आवास के माली नरेंद्र पटेल ने सुसाइड कर लिया था. इस मामले में जब वीसी पर प्रताड़ना का आरोप लगा, तो मृतक की पत्नी का मुंह बंद रखने के लिए उसे मुआवजे के रूप में 25 लाख का चेक विधिवत ढंग से दे दिया गया. लेकिन, जब मामला शांत हो गया, तो परिजन और कर्मचारी संघ पर दबाव बना कर चेक वापस ले लिया गया और इसके बदले में उन्हें 15 हजार का चेक और 10 हजार नकद थमा दिया गया. नौकरी व अन्य लाभ नहीं देने की धमकी के बाद माली के परिजन भी बैकफुट पर आ गये.

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