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मांझी ने कहा, भ्रष्ट ठेकेदार-इंजीनियर से लेवी लेना गलत नहीं

कई ठेकेदार खुद मशीन-वाहन फूंक दोष मढ़ते हैं नक्सलियों पर पटना : अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहनेवाले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को एक बार फिर कहा कि अगर नक्सली भ्रष्ट ठेकेदारों और इंजीनियरों से लेवी वसूलते हैं, तो इसमें गलत क्या है? उन्होंने कहा कि हम इस विषय पर पहले […]

कई ठेकेदार खुद मशीन-वाहन फूंक दोष मढ़ते हैं नक्सलियों पर
पटना : अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहनेवाले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सोमवार को एक बार फिर कहा कि अगर नक्सली भ्रष्ट ठेकेदारों और इंजीनियरों से लेवी वसूलते हैं, तो इसमें गलत क्या है? उन्होंने कहा कि हम इस विषय पर पहले ही कह चुके हैं कि विकास के पैसों की हो रही लूट नक्सलवाद को मजबूत कर रही है. एक करोड़ में बननेवाली सड़क का टेंडर चार करोड़ रुपये में होता है. इसी तरह चार लाख रुपये में बननेवाला सरकारी भवन 11 लाख रुपये में बनता है. अगर नक्सली निर्माण कार्य में लगे इन ठेकेदारों से लेवी के रूप में मोटी रकम की वसूली कर रहे हैं, तो वह समाज के वंचित वर्ग के हक का पैसा है.
नहीं कहा कि मंत्री नहीं मानते मेरी बात
अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों द्वारा उनकी बातों को तरजीह नहीं दिये जाने के संबंध में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने ऐसा नहीं कहा था कि मंत्रिमंडल के सहयोगी हमारी बात नहीं मानते, बल्कि मैंने यह कहा था कि किसी भी मुद्दे पर उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों में मतभिन्नता होती है. इसमें गलत क्या है? लोकतंत्र में मतभिन्नता तो होती ही है और फैसला सर्वसम्मति से लिया जाता है.
मीडिया जो कहे, मुङो हानि नहीं
मुख्यमंत्री यहीं पर नहीं रुके. उन्होंने यह भी कहा कि कई बार तो ठेकेदार अपने वाहनों और जेसीबी मशीनों को खुद फूंक देते हैं और इसका दोष नक्सलियों के सिर पर मढ़ देते हैं. यहां केवल नक्सलियों की नहीं, बल्कि ठेकेदारों की भी राजनीति चलती है. जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से मुखातिब मुख्यमंत्री ने अपने खास अंदाज में कहा, मैं एक कॉमन आदमी हूं और थोड़ा फूहड़ भी हूं’. यही कारण है कि मीडिया मेरे बयानों का तरह-तरह से मतलब निकाल कर उसे सनसनीखेज बना देती है. मीडिया जो चाहे मेरे बयानों के साथ करे, लेकिन इससे मुङो कोई हानि नहीं हो रही है.
नक्सलियों से बातचीत को तैयार : मुख्यमंत्री
मांझी ने कहा कि नक्सलियों की बंदूक का जवाब बंदूक नहीं हो सकती. हमें उनसे बातचीत करनी चाहिए. समाज के वंचित वर्ग के साथ अब तक जो अन्याय हुआ है, उसे ठीक करना होगा. हमारा मकसद नक्सली आंदोलन में शामिल लोगों को भी रोजगार उपलब्ध कराना है, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें. यह तभी संभव है, जब सरकार न्याय के साथ विकास के रास्ते पर रहे. यह भी कहा कि अभी हमारे पास नक्सलियों से बातचीत को लेकर किसी तरह का प्रस्ताव नहीं आया है, अगर प्रस्ताव आता है, तो हम गंभीरता से विचार करेंगे.

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