लाइफ रिपोर्टर@पटनादलित दूसरों से अलग नहीं होते. वे हंसते हैं, वे रोते हैं, खुशियों में आपस में मस्ती करते हैं. कोई उन्हें अपना लगने लगे, तो उनके लिए जान तक देने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके बावजूद वे भोले होते हैं. क्योंकि आज के समाज के नेता उनके भरोसे को जीत कर सत्ता तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन बाद में वे कौन हैं, जानते तक नहीं. यही दर्द है दलितों का. आये दिन कोई-न-कोई घटना सामने आ जाती है, जिसमें दलितों के शोषण की बात कही जाती है. इन तमाम दर्द को कालिदास रंगालय में नाटक मंचन द्वारा एहसास दिलाने की कोशिश करता है नाटक ‘पोलटिस’. सोमवार को कालिदास रंगालय का मंच दलितों को समर्पित रहा. बेहतरीन निर्देशन का असर बेहतरीन किरदार पर भी दिखता है. नाटक की शुरुआत से ही मंच पर दर्शकों को हंसाते, गुदगुदाते दलितों का किरदार निभाते कुछ युवक ने लोगों का दिल जीत लिया. हाल ही के चुनाव में जीते दलितों के नेता बालेश्वर पासवान की जय-जय कार करनी हो, या एक साथ बैठ कर जीत का भजन कीर्तन हो. मंगला, छोटना, बुधना, मिसरी, सूरज बने अमरेन्द्र, मनीष, राहुल ओझा और आशीष दूबे ने दर्शकों के दिल में जगह बनायी. हालांकि रमा सिंह का किरदार निभानेवाले रास राज ने अपनी दबंगई दिखा कर दर्शकों की खूब तालियां बटोरी. बॉक्स मेंप्रस्तुति : प्रेरणा (जसामो), पटनाआलेख, परिकल्पना एवं निर्देशन : हसन इमामप्रकाश परिकल्पना : हीरा लालसंगीत : भोला प्रसाद, विनोद कुमारये थे कलाकारअशोक कुमार, अमरेन्द्र कुमार, मनीष गौतम, राहुल ओझा, आशीष दूबे, नीरज कुमार, विजय कुमार, उमेश कुमार, श्वेत प्रीति, हसन इमाम, राजवीर गुंजन, रास राज, राहुल कुमार
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ऐसी ही है दलितों की कहानी
लाइफ रिपोर्टर@पटनादलित दूसरों से अलग नहीं होते. वे हंसते हैं, वे रोते हैं, खुशियों में आपस में मस्ती करते हैं. कोई उन्हें अपना लगने लगे, तो उनके लिए जान तक देने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके बावजूद वे भोले होते हैं. क्योंकि आज के समाज के नेता उनके भरोसे को जीत कर सत्ता […]
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