भागलपुर: बांका जिला अंतर्गत बेलहर थाना क्षेत्र स्थित बगधसवा गांव. आबादी करीब 200 परिवारों की. सर्वाधिक आदिवासी और अनुसूचित जाति के लोग. गांववालों का मुख्य पेशा पत्तल बनाना और लकड़ी काटना. पूरा गांव उग्रवाद प्रभावित. बिहार-झारखंड का हार्डकोर नक्सली बीरबल मुमरू (50 हजार का इनामी, फिलहाल जेल में बंद) समेत गांव के 20 से ज्यादा युवक सक्रिय नक्सली.
यह गांव नक्सलियों की पौधशाला कही जाती है. इन सबके बीच सुकून देने वाली एक अच्छी खबर है- शिक्षा की. गांव के सोरेन दंपती बगधसवा समेत आसपास के आधा दर्जन गांव के बच्चों को शिक्षित करने में जुटे हैं. नक्सली भय से गांव के सरकारी स्कूल में शिक्षकों की उपस्थिति नगण्य रहती है. ऐसे में जॉन सोरेन पूरी लगन से स्कूल में करीब 200 बच्चों को पढ़ाते हैं. स्कूल में अगर शिक्षक आये, तो जॉन अपने घर पर बच्चों को मामूली फीस लेकर 60 से अधिक बच्चों को ट्यूशन देते हैं. शिक्षा दान के इस अभियान में जॉन की पत्नी मोनिका सोरेन भी सहयोग करती हैं. जॉन बीए पास हैं, जबकि उनकी पत्नी इंटर पास. एक और खास बात यह है कि नक्सलियों के बच्चे भी सोरेन दंपती के पास शिक्षा पा रहे हैं. लाखों खर्च के बाद भी सरकारी मशीनरी जहां उग्रवाद प्रभावित बगधसवा में पठन-पाठन के कार्य में फिसड्डी साबित हो रही है, वहीं सोरेन दंपती का प्रयास रंग ला रहा है. इन्हें सरकारी मदद की आस है.
जंगलों से घिरा है बगधसवा
बगधसवा गांव बांका और जमुई जिले की सीमा पर है. बेलहर प्रखंड मुख्यालय से गांव की दूरी करीब 20 किलोमीटर है. यहां जाने के लिए कम से कम पांच किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. नक्सलियों के भय से गांव में पुलिस नहीं जाती है. सोरेन दंपती के पास बगधसवा के अलावा मटियोकुर, मलहातरी, खिजुरिया, कङिायातरी समेत कई नक्सल प्रभावित गांवों से बच्चे पढ़ने आते हैं.
तत्कालीन आइजी से पुरस्कृत हो चुके हैं जॉन
शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए जॉन के प्रयास को सराहा जा चुका है. तत्कालीन आइजी जितेंद्र कुमार के हाथों जॉन सम्मानित भी हो चुके हैं. पूर्व में बेलहर के तत्कालीन थानेदार मनोरंजन भारती भी जॉन सोरेन की पाठशाला में आकर बच्चों को पढ़ाते थे. तत्कालीन थानेदार भारती ने जॉन के इस अभियान में कंप्यूटर, सोलर लाइट आदि देकर सहयोग भी किया था. लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद पुलिस की ओर से जॉन को अपेक्षाकृत सहयोग नहीं मिल रहा है.