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व्यक्तित्व के विकास में फूलों सी कोमलता जरूरी

पटना. जो कुछ भी मैं कहूं, मगर अवशेष बहुत रह जाता है. आखिर जन्म लेना तो उसी का सार्थक है, जिसने किया देश व जाति का उत्थान. कुछ इसी तरह की कविताओं का सिलसिला जारी रहा है. मौका था मदर टेरेसा एजुकेशनल ट्रस्ट की ओर से आयोजित कार्यक्रम का. शनिवार को डॉ अवध बिहारी जिज्ञासु […]

पटना. जो कुछ भी मैं कहूं, मगर अवशेष बहुत रह जाता है. आखिर जन्म लेना तो उसी का सार्थक है, जिसने किया देश व जाति का उत्थान. कुछ इसी तरह की कविताओं का सिलसिला जारी रहा है. मौका था मदर टेरेसा एजुकेशनल ट्रस्ट की ओर से आयोजित कार्यक्रम का. शनिवार को डॉ अवध बिहारी जिज्ञासु के 76वां जन्म दिवस मनाया गया. अवसर पर ‘ साहित्य चेतना और समाज ‘ पर चर्चा की गयी. वहीं, दूसरी ओर तांती पत्रिका का विमोचन व कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें कवियों द्वारा कई तरह की कविताएं सुनायी गयी. इसमें सूरज जैसे तपिश है, तो फूलों से कोमलता जैसे कई कविताओं पर लोगों की तालियां बजती रही. पत्रिका का विमोचन पूर्व गृह आयुक्त जिया लाल आर्य ने किया. उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व में हमेशा फूलों सी कोमलता बनाये रखना चाहिए. इससे व्यक्ति का चरित्र साफ होगा. साफ चरित्र में ही संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास हो सकेगा. पूर्व सांसद सूर्य नारायण यादव ने कहा कि डॉ अवध बिहारी सिर्फ लेखक या कवि मात्र के रूप में नहीं जाने जाते है, बल्कि समाज के प्रति सक्रिय साहित्यकार के रूप में भी जाने जाते हैं.भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष चंद्रभूषण राय ने बताया कि अवध जी के साहित्य हमें धर्म संप्रदाय से जोड़ती है. मौके पर भाषा भारती संवाद के संपादक नृपेंद्र नाथ गुप्त, डॉ भगवान सिंह भास्कर, रवि घोष समेत अन्य मौजूद थे.

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