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उत्पादन में झांझरा ने बनाया रिकॉर्ड

आसनसोल/सांकतोड़िया : इसीएल की झांझरा परियोजना के मशीनीकृत खदान में बदलने के बाद इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता बढ़ कर 3.2 मिलियन टन हो गयी है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि खदान में दो कंटीन्यूअस माइनर मशीन चल रही हैं. आगामी वित्तीय वर्ष में पावर्ड-सपोर्ट लांगवाल खनन पद्धति स्थापित हो जायेगी. उल्लेखनीय है कि बीते दिसंबर […]

आसनसोल/सांकतोड़िया : इसीएल की झांझरा परियोजना के मशीनीकृत खदान में बदलने के बाद इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता बढ़ कर 3.2 मिलियन टन हो गयी है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि खदान में दो कंटीन्यूअस माइनर मशीन चल रही हैं.
आगामी वित्तीय वर्ष में पावर्ड-सपोर्ट लांगवाल खनन पद्धति स्थापित हो जायेगी. उल्लेखनीय है कि बीते दिसंबर माह में 1,52,000 टन कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन किया गया है. एक कंटीन्यूअस माइनर मशीन से 74,505 टन कोयले का उत्पादन किया गया. यह एक महीने में डेवलपमेंट डिस्ट्रिक्ट में एक कंटीन्यूअस माइनर द्वारा किया गया सर्वाधिक उत्पादन है.
भूमिगत खदान से उत्पादन के क्षेत्र में भी सर्वाधिक उत्पादन का रिकॉर्ड बना है. सीएमडी राकेश सिन्हा ने इसका पूरा श्रेय झांझरा में हुए ऑटोमैटिक मशीनीकरण और सभी कर्मियों की बेहतरीन योजनाबद्ध कार्यशैली को दिया है. इसके साथ ही झांझरा परियोजना की भूमिगत खदानों से दिसंबर में अब तक का सर्वाधिक कोयला प्रेषण का भी रिकॉर्ड बना. 45 रेक के माध्यम से 1,57,629 टन कोयले का प्रेषण किया गया.
सीएमडी के तकनीकी सचिव निलाद्री राय ने बताया कि परियोजना देश की सबसे आधुनिक मशीनीकृत खदान बन चुकी है. इसमें दो कंटिन्यूअस माइनर मशीनें चल रही हैं, जो लगातार कोयला उत्खनन कर रही है. पिछले काफी समय से कंपनी खनन आदि कार्य में आधुनिक तकनीक को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन दे रही है. जल्द ही झांझरा में पॉवर्ड-सपोर्ट लांगवॉल स्थापित होगा. उन्होंने कहा कि पिछले कई सालों से लगातार मुनाफा अजिर्त करने के कारण कंपनी बीआईएफआर से बाहर आ चुकी है.

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