मानगो में श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिनजमशेदपुर : संसार में घटने वाली हर घटना ईश्वर की माया का परिणाम है. जीव को सुख-दुख भी परमात्मा के विधान के अनुसार ही मिलता है, केवल उसमें कमी या वृद्धि जीव के अपने कर्म के कारण होता है. जीव अपनी रुचि के अनुसार ईश्वर को परिभाषित करता है, जबकि वह तो सत्य स्वरूप में कण-कण में वर्तमान है. उक्त बातें मानगो डिमना रोड स्थित राजस्थान भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के क्रम में शुक्रवार को बाल ब्यास विवेक महाराज ने कहीं. उन्होंने आज कथा में वामन अवतार, प्र ाद चरित्र और समुद्र मंथन प्रसंग की कथा सुनायी. वामन अवतार को ईश्वर का प्रथम अवतार बताते हुए उन्होंने कहा कि ईश्वर समद्रष्टा हैं और धर्म की स्थापना के निमित्त अपनी हर लीला में जीव के समक्ष प्रेरक प्रसंग को रखते हैं. उन्होंने कहा कि जब जीव को इंद्रियां अपनी ओर खींचें तो उसे खुद को परमात्मा के हवाले कर देना चाहिए. इससे दोष नहीं लगता. मनुष्य को अपनी इंद्रियों के स्वाद को नियंत्रित करना चाहिए, क्योंकि इसके माध्यम से ही अपने ऊपर नियंत्रण करने की पहली प्रक्रि या आरम्भ होती है. साथ ही, जीव को हर भोग ईश्वर का प्रसाद मान कर ग्रहण करना चाहिए. आज की कथा में जसवंत खेमका, मामचंद खेमका, ताराचंद शर्मा, शिव प्रकाश शर्मा, तुलसी खेमका, राधेश्याम खेमका, विनोद खेमका, मनोज केजरीवाल, बिहारीलाल शर्मा, गोविंद राम शर्मा, महावीर अग्रवाल, रामजीलाल शर्मा, विजय अग्रवाल, शिवकरण अग्रवाल, ग्यारसी लाल महाराज, रामस्वरूप शर्मा, चंद्रशेखर शर्मा सहित बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे.
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परमात्माक के विधान से मिलता है सुख-दुख : विवेक जी(फोटो मनमोहन की होगी)
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