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भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली के समक्ष उपस्थित चुनौतियां

कुछ समय पहले तक विराट कोहली को भारतीय क्रिकेट का भविष्य बताया जाता है, अब वे वर्तमान बन चुके हैं. टेस्ट क्रिकेट से महेंद्र सिंह धौनी के संन्यास के बाद विराट कोहली को टेस्ट क्रिकेट का स्थायी कप्तान बना दिया गया है. यह एक ओर जहां विराट कोहली के लिए बड़ी उपलब्धि है, वहीं चुनौती […]

कुछ समय पहले तक विराट कोहली को भारतीय क्रिकेट का भविष्य बताया जाता है, अब वे वर्तमान बन चुके हैं. टेस्ट क्रिकेट से महेंद्र सिंह धौनी के संन्यास के बाद विराट कोहली को टेस्ट क्रिकेट का स्थायी कप्तान बना दिया गया है. यह एक ओर जहां विराट कोहली के लिए बड़ी उपलब्धि है, वहीं चुनौती भी है. विराट कोहली टीम इंडिया के युवा क्रिकेटर हैं, उनसे टीम को काफी आशाएं हैं, ऐसे में उनके सामने यह बड़ी चुनौती है कि वे क्यों कर उन उम्मीदों पर खरा उतरें. यहां हम चर्चा कर रहे हैं उन्हीं चुनौतियों की.

विदेशी धरती पर असफलता का दाग मिटाना : महेंद्र सिंह धौनी ने जिस टीम इंडिया की अगुवाई की उस पर यह आरोप लगाये जाते रहे हैं कि वे सिर्फ घरेलू धरती पर ही कमाल कर सकती थी. ऐसे में अब विराट पर इस बात की जिम्मेदारी आ जाती है कि वे इस दाग को मिटाएं और विदेशी धरती पर भी टीम को सफलता दिलायें.

युवा टीम को स्थापित करना : विराट कोहली एक ऐसी टीम का नेतृत्व कर रहे हैं जिसके सभी खिलाड़ी 30 साल के नीचे के हैं. ऐसे में इस टीम के पास अनुभव का अभाव है. ऐसे में कोहली के सामने यह चुनौती है कि वह युवा ब्रिगेड का मार्गदर्शन करें और उन्हें हर परिस्थिति में लड़ना सिखायें.

धौनी के आभामंडल से निकलना : विगत दस वर्षों से भारतीय क्रिकेट पर धौनी का प्रभाव था, जो अभी भी बरकरार है. विपरीत परिस्थितियों में जिस तरह धौनी अपनी रणनीतियों से टीम को निकाल ले जाते थे, उसका प्रभाव टीम पर अभी भी नजर आता है. ऐसे में यह जरूरी होगा कि कोहली कुछ ऐसा करें कि लोग उनकी कप्तानी की सराहना करें और ऐसा प्रतीत हो, कि टीम को धौनी का विकल्प मिल गया है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनकी कप्तानी की धौनी से तुलना होगी, इसलिए उन्हें अपना बेस्ट देना होगा, जिस तरह धौनी ने दिया था.

बैंटिंग की लय भी रखनी होगी बरकरार : अकसर यह देखा गया है कि कई सफल बल्लेबाज जब कप्तान बनते हैं, तो उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन पर बहुत असर पड़ता है. सचिन तेंदुलकर इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं, जब उन्हें कप्तानी सौंपी गयी थी, तो उनका बल्ला खामोश हो गया था. जिसके कारण सचिन ने कप्तानी छोड़ दी थी. हालांकि कोहली ने कई बार टीम की कप्तानी अस्थायी तौर पर की है और उनका बल्ला चला है. इसलिए कोहली के लिए यह जरूरी होगा कि वे अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन पर भी ध्यान दें और कप्तानी की धार को भी मजबूत करें.

संयम और धैर्य का दामन थामना होगा : विराट कोहली अकसर खेल के मैदान पर अपना धैर्य खो देते हैं और असंयमित आचरण दिखा देते हैं. जिसके कारण उनकी निंदा होती है. आक्रामकता अच्छी चीज है, लेकिन उसका प्रदर्शन अपने खेल से करना चाहिए न कि व्यवहार से. इसलिए कोहली को इस बात का ध्यान रखना होगा, तभी वे एक सफल कप्तान बन सकते हैं.

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