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जनहित के कानूनों को कमजोर करने का प्रयास

रांची: झारखंड माइंस एरिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (जमैक), झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन (जेजेबीए) व नेटवर्क ऑफ एडवोकेट्स फॉर राइट्स एंड एक्शन (नारा) ने भू- अधिग्रहण कानून को संशोधित करनेवाले अध्यादेश की निंदा संयुक्त रूप से की है. जमैक के उमेश नजीर, जेजेबीए के प्रो संजय बसु मल्लिक और नारा के गोपीनाथ घोष ने कहा है कि […]

रांची: झारखंड माइंस एरिया कोऑर्डिनेशन कमेटी (जमैक), झारखंड जंगल बचाओ आंदोलन (जेजेबीए) व नेटवर्क ऑफ एडवोकेट्स फॉर राइट्स एंड एक्शन (नारा) ने भू- अधिग्रहण कानून को संशोधित करनेवाले अध्यादेश की निंदा संयुक्त रूप से की है.

जमैक के उमेश नजीर, जेजेबीए के प्रो संजय बसु मल्लिक और नारा के गोपीनाथ घोष ने कहा है कि इस अध्यादेश से कॉरपोरेट घरानों का हित सधेगा. कॉरपोरेट घरानों का प्रत्यक्ष हमला देश के किसानों, खास कर आदिवासियों, दलितों व छोटे किसानों पर शुरू हो गया है. यह अध्यादेश इसलिए लाया गया, ताकि बंदूक की नोक पर जनता की जमीन छीनी जाये. उसे बड़े पूंजीपतियों को औने-पौने दाम में दिया जा सके.

अध्यादेश लाना यह बताता है कि केंद्र सरकार को लोकतंत्र के चुने हुए प्रतिनिधियों पर भरोसा नहीं. शायद वह नहीं जानती कि औपनिवेशिक युग से आदिवासियों का इतिहास संघर्ष का रहा है और वे आज भी लड़ने के लिए तैयार हैं. केंद्र में जब से नयी सरकार आयी है, तब से जनता के हितों की रक्षा करनेवाले कानूनों व संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिशें की जा रही हैं. पर इस देश में लोकतंत्र की जड़ें काफी मजबूत हैं. जनपक्षीय लोग व संगठन इन संशोधनों के खिलाफ एकजुट हों और इसका सशक्त विरोध करें.

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