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ट्राई ने की सिफारिश, घट जायेगा आपके 3जी मोबाइल का इंटरनेट खर्च
नयी दिल्ली : दूरसंचार नियामक ट्राई ने अखिल भारतीय 3जी स्पेक्ट्रम के लिए आधार मूल्य या नीलामी का शुरुआती मूल्य 2,720 करोड रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज रखने की सिफारिश की है. यह मूल्य 2010 में ऑपरेटरों द्वारा भुगतान किए गए मूल्य से करीब 19 प्रतिशत कम है. वर्ष 2010 में हुई 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में […]
नयी दिल्ली : दूरसंचार नियामक ट्राई ने अखिल भारतीय 3जी स्पेक्ट्रम के लिए आधार मूल्य या नीलामी का शुरुआती मूल्य 2,720 करोड रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज रखने की सिफारिश की है. यह मूल्य 2010 में ऑपरेटरों द्वारा भुगतान किए गए मूल्य से करीब 19 प्रतिशत कम है.
वर्ष 2010 में हुई 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में अखिल भारतीय स्तर पर 5 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम के एक ब्लॉक के लिए 16,750.58 करोड रुपये मूल्य की बोलियां प्राप्त हुई थीं जो प्रति मेगाहर्ट्ज करीब 3,350 करोड रुपये बैठता है.
हालांकि, ट्राई द्वारा आगामी नीलामी के लिए जिस आधार मूल्य की सिफारिश की गई है, वह पिछली 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए सरकार द्वारा 5 मेगाहर्ट्ज के लिए तय किए गए 3,500 करोड रुपये के आरक्षित मूल्य की तुलना में प्रति मेगाहर्ट्ज आधार पर करीब चार गुना अधिक है.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज यह सिफारिश की है कि दूरसंचार विभाग को नीलामी के लिए और 15 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम पेश करना चाहिए जो रक्षा विभाग के साथ अदला-बदली के जरिए विभाग को मिलने वाला है. लेकिन विभाग को उम्मीद है कि रक्षा मंत्रालय से 3जी बैंड (2100 मेगाहर्ट्ज बैंड) का फिलहाल पांच मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम ही मिल सकेगा.
ट्राई ने कहा ‘प्राधिकरण की सिफारिश है कि हर लाइसेंस सेवा क्षेत्र (सर्किल) में 2100 मेगाहर्ट्ज बैंड स्पेक्ट्रम के लिए न्यूनतम मूल्य 2,720 करोड रुपए रखा जाना चाहिए.
ट्राई ने कहा, रक्षा मंत्रलय 1900 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम के बदले 2100 मेगाहर्ट्ज बैंड का 15 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खाली कर रहा है. रक्षा विभाग के साथ सैद्धांतिक आधार पर हुए समझौते के मद्देनजर रक्षा विभाग की तरफ से खाली होने पर प्राप्त होने वाले स्पेक्ट्रम को भी नीलामी पर रखा जाना चाहिए, भले ही वह तत्काल उपलब्ध न हो.
दूरसंचार प्राधिकरण ने कहा कि ऐसा किया जा सकता है क्योंकि कंपनियों को स्पेक्ट्रम तत्काल उपलब्ध नहीं कराना है. नियामक ने सुझाव दिया है कि दूरसंचार विभाग को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जाने चाहिए कि बिहार, ओडिशा और हिमाचल प्रदेश, इन तीन सर्किलों में 2100 मेगाहर्ट्ज बैंड का वह स्पेक्ट्रम भी नीलामी पर चढाया जाए तो जो पहले एस-टेल के लिए रखा गया था.
उच्चतम न्यायालय द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले में फरवरी 2012 में जो 122 लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद एस-टेल ने अपना परिचालन बंद कर दिया था.
उल्लेखनीय है कि 3जी स्पेक्ट्रम के लिए 2010 में तय न्यूनतम मूल्य ही 2008 के 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में 1.76 लाख करोड रुपए की राजस्व हानि के कैग के अनुमान का आधार बना.
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