20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन का मसला

विकास के मसले पर पीडीपी या नेशनल कांफ्रेंस और भाजपा सरकार बना सकते हैं, जो राज्य के लिए सबसे उपयुक्त होगी. इस कार्यक्रम की दो अन्य मुख्य बातें यह हों कि राज्य भारत के साथ एकीकृत हो और भारतीय संविधान की सर्वोच्चता स्थापित हो. जम्मू-कश्मीर प्रबंधन और शासन के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील और […]

विकास के मसले पर पीडीपी या नेशनल कांफ्रेंस और भाजपा सरकार बना सकते हैं, जो राज्य के लिए सबसे उपयुक्त होगी. इस कार्यक्रम की दो अन्य मुख्य बातें यह हों कि राज्य भारत के साथ एकीकृत हो और भारतीय संविधान की सर्वोच्चता स्थापित हो.

जम्मू-कश्मीर प्रबंधन और शासन के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील और कठिन राज्य है. यह राज्य हर तरह से एक-दूसरे से भिन्न क्षेत्रों को मिला कर बना है. जम्मू में हिंदू बहुसंख्यक हैं और यहां मुसलिम आबादी भी 29 फीसदी है. क्षेत्र में कश्मीर से दोगुना बड़े जम्मू की बड़ी जनसंख्या अनुच्छेद 370 के विरुद्ध है, जिसके अंतर्गत राज्य को भारत संघ में एक अलग स्थिति प्राप्त है. इसकी इच्छा भारत में राज्य के संपूर्ण विलय की है, क्योंकि इसकी राय में कथित कश्मीर समस्या के समाधान का यही एकमात्र रास्ता है और इसी से राज्य की राजनीति पर कश्मीरी प्रभुत्व का अंत और इस उपेक्षित क्षेत्र का सशक्तिकरण हो सकता है.

जम्मू क्षेत्र से 87-सदस्यीय विधानसभा में 37 सदस्य होते हैं. हालिया चुनाव में भाजपा ने 25 सीटें जीत कर और अधिकतम मत हासिल कर इतिहास रचा है. वर्ष 2009 से दिसंबर, 2014 तक सत्ता में रहे नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस को क्रमश: तीन और पांच सीटें ही मिल सकी हैं, जो इन दलों का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को तीन सीटें मिली हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक और भाजपा के एक बागी प्रत्याशी ने भी जीत हासिल की है. जम्मू क्षेत्र के लोगों ने इस उम्मीद के साथ भाजपा को मत दिया है कि पार्टी न सिर्फ 67 वर्ष लंबी असंतोष और अवसाद की रात को खत्म करेगी, बल्कि राष्ट्रीय मुख्यधारा से राज्य को अलग-थलग करनेवाले संवैधानिक प्रावधानों को हटा कर राज्य को राजनीतिक और संवैधानिक रूप से भारत के साथ एकीकृत करेगी.

राज्य के कुल क्षेत्रफल के 12 फीसदी से कम हिस्से में स्थित कश्मीर घाटी में लगभग पूरी आबादी मुसलिम समुदाय की है. वहां लगभग 50 हजार हिंदू और सिख रहते हैं. कश्मीरी नेतृत्व कई समूहों में बंटा हुआ है, जिनकी मांगें हैं- अधिक स्वायत्तता (इसे अर्ध-स्वतंत्रता या सीमित विलय पढ़ें), स्व-शासन (इसे स्वतंत्रता से बस एक कदम पीछे की स्थिति के रूप में पढ़ें, राज्य पर भारत-पाकिस्तान का साझा नियंत्रण, दोहरी मौद्रिक व्यवस्था आदि), राज्य का पाकिस्तान के साथ पूर्ण विलय, भारत व पाकिस्तान से पूर्ण स्वतंत्रता. वर्ष 1990 के शुरू में कश्मीर से पलायन किये और जम्मू समेत देश के विभिन्न हिस्सों में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हिंदुओं की मांग घाटी में संघीय शासन के अंतर्गत अलग गृह क्षेत्र बनाने से लेकर घाटी में सुरक्षा क्षेत्र बनाने और विधानसभा में आरक्षण की मांग तक है.

कश्मीर से विधानसभा में 46 सदस्य होते हैं. वर्ष 2002 और 2008 की तरह कश्मीर के लोगों ने खंडित जनादेश दिया है. स्व-शासन समर्थक पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), जिसने विकास, विभाजनकारी, नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस-भाजपा विरोधी मुद्दे पर चुनाव लड़ा था, ने घाटी में 25 सीटें जीती है. स्वायत्तता-समर्थक नेशनल कॉन्फ्रेंस को 12 और उसके सहयोगी दल को चार सीटें मिली हैं. पांच निर्दलीय भी जीते हैं, जिनमें दो लोग अलगाववादी से राजनेता बने सज्जद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस से हैं और इनका मोदी से बहुत अच्छा संबंध है. घाटी में भाजपा ने 33 प्रत्याशी खड़े किये थे, जिनमें चार कश्मीरी हिंदू थे, लेकिन उसे कोई सीट नहीं मिल सकी है. एक को छोड़ कर, बाकी उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गयी. सैयद गीलानी जैसे अलगाववादियों समेत सभी दलों ने घाटी में भाजपा को हराने के लिए काम किया. उन्होंने कश्मीरी मुसलमानों को समझा दिया कि कश्मीर की एक भी सीट पर भाजपा की जीत उसे कश्मीर की आबादी के स्वरूप को बदलने का आधार देगी, इससे घाटी की पहचान कमजोर होगी तथा क्षेत्र का भगवाकरण होगा. कश्मीरी मुसलमानों ने पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस जैसी उप-क्षेत्रीय दलों को जम कर वोट दिया है. इनके अलावा उन निर्दलीय प्रत्याशियों को समर्थन दिया है, जिनकी विचारधारा पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस से बहुत अलग नहीं है.

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सुदूर हिमालय में स्थित लद्दाख, जो बौद्ध बहुसंख्यक क्षेत्र है और जहां 45 फीसदी शिया मुसलमान भी रहते हैं, में कांग्रेस ने चार में से तीन सीटें जीत कर इतिहास रचा है. इसका कारण यह रहा कि स्थानीय कांग्रेस नेतृत्व ने क्षेत्र को केंद्रशासित बनाने के लद्दाखियों की बहुत पुरानी मांग को मुद्दा बनाया था. यहां की बड़ी आबादी कश्मीर से अलग होने की मांग उठाती रही है. केंद्रशासित प्रदेश की मांग के पीछे उनका तर्क है कि वे अलगाववादियों और घाटी-केंद्रित कश्मीरी नेतृत्व से कोई संबंध नहीं रख सकते हैं. इस क्षेत्र में आश्चर्यजनक रूप से लोकसभा की एकमात्र सीट जीतनेवाली भाजपा, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस को एक भी सीट नहीं मिली. चौथी सीट एक निर्दलीय के हिस्से में गयी है. स्पष्ट है कि लद्दाख के लोगों ने केंद्रशासित क्षेत्र बनाये जाने की उम्मीद में कांग्रेस को मत दिया.

विधानसभा चुनाव के ये नतीजे उन लोगों के तर्को को पुष्ट करते हैं जो यह कहते रहे हैं कि बतौर राज्य जम्मू-कश्मीर का गठन अप्राकृतिक है या इस राज्य में भिन्न-भिन्न क्षेत्र शामिल हैं. आश्चर्य नहीं है कि खंडित जनादेश ने सरकार गठन का काम बहुत मुश्किल बना दिया है. पीडीपी अपने शर्तो पर भाजपा के साथ काम करना चाहती है, पर भाजपा ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह संप्रभुता से जुड़े अपने सिद्धांतों पर समझौता नहीं कर सकती है और वह चाहती है कि सरकार सिर्फ शासन और विकास के लिए काम करे. उसने यह भी कहा कि सरकार ऐसी हो, जो तीनों क्षेत्रों पर समुचित और समान रूप से ध्यान दे. कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने पीडीपी को बिना शर्त समर्थन का प्रस्ताव किया है और कहा है कि कश्मीरी जनभावना का सम्मान करते हुए उसे दक्षिणपंथी भाजपा के साथ नहीं जाना चाहिए. ऐसे में जम्मू के जनादेश की अवहेलना होगी और सरकार में 35 फीसदी आबादी वाले हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं होगा. इससे असंतुष्ट जम्मू में राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बन सकता है, जो देश हित में नहीं होगा.

ऐसे में कॉमन मिनिमम प्रोग्राम ही एकमात्र विकल्प है. विकास के मसले पर पीडीपी या नेशनल कांफ्रेंस और भाजपा सरकार बना सकते हैं, जो राज्य के लिए सबसे उपयुक्त होगी. इस कार्यक्रम की दो अन्य मुख्य बातें यह हों कि राज्य भारत के साथ एकीकृत हो और भारतीय संविधान की सर्वोच्चता स्थापित हो. संवेदनशील सीमा पर बसे राज्य में भारत और उसके संविधान के प्रति आक्रामक रुख रखनेवाली सरकार नहीं हो सकती है. याद रखें, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की साझा सरकार की परिणति राज्य का तीन हिस्सों में विभाजन होगा.

प्रो हरि ओम

इतिहासकार

omhari00009@gmail.com

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें